Special Story: यूं ही नहीं हुई उत्तर प्रदेश में अखिलेश की 'वापसी', केशव प्रसाद मौर्य ने किया मजबूर

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में सपा को करारी हार मिली। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अब सांसदी छोड़ विधायक बने रहेंगे। अखिलेश के इस फैसले के पीछे यूपी के बड़े नेता का कमाल है। जिसकी वजह से अखिलेश को 2022 में इतना बड़ा फैसला लेते हुए केन्द्र की राजनीति से वापसी करनी पड़ी।

दिव्या गौरव

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में एक ओर जहां समाजवादी पार्टी को करारी हार मिली, वहीं अखिलेश ने करहल सीट पर जीत हासिल की। लेकिन नतीजों के साथ ही चर्चा होने लगी थी कि अखिलेश करहल में रहेंगे या आजमगढ़ से अपनी सांसदी बरकरार रखते हुए विधानसभा से इस्तीफा देंगे। चर्चाओं पर विराम लगाते हुए अखिलेश ने सांसदी छोड़ी और साफ कर दिया कि वह यूपी विधानसभा में ही मौजूद रहेंगे। लेकिन अखिलेश के इस फैसले के पीछे यूपी का एक बड़े नेता का कमाल है। दरअसल सूबे के निवर्तमान उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने 2014 के दौर में जो बिसात बिछाई थी, उसी की वजह से अखिलेश को 2022 में इतना बड़ा फैसला लेते हुए केन्द्र की राजनीति से वापसी करनी पड़ी।

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उत्तर प्रदेश में भाजपा की साल 2017 में सत्ता में बंपर वापसी कराने वाले केशव ही थे, जिन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से सत्ता छीनी थी। आंकड़े बताते हैं कि साल 2022 के चुनाव में भाजपा की सौ से भी ज्यादा सीटें ऐसी हैं, जिन पर केशव प्रसाद मौर्य ने जी तोड़ मेहनत की। इन सीटों पर जीत के लिए न सिर्फ उन्होंने प्रचार किया, बल्कि इन्हें प्रतिष्ठा का प्रश्न भी बनाया।

100 से ज्यादा सीटों पर चला केशव का जादू!
साल 2022 के चुनाव प्रचार के दौरान भी देखा गया कि अखिलेश और समाजवादी पार्टी के अन्य बड़े नेताओं के निशाने पर सबसे ज्यादा केशव मौर्य ही रहे। राजनीति के जानकार बताते हैं कि अखिलेश इस बात को जानते थे कि भले ही उन्होंने भाजपा से कई पिछड़े नेताओं को अपने पाले में खींच लिया हो, लेकिन हकीकत यह थी कि पिछड़े वोटर्स के सबसे बड़े नेता केशव अभी भी सूबे में कमल खिलाने के लिए लगातार लगे हुए थे। सपा ने सीधे तौर पर केशव को निशाने पर लिया और सिर्फ सिराथू पर फोकस करते हुए अपनी पूरी टीम वहां के चुनाव पर लगा दी।

सिर्फ केशव दे सकते हैं अखिलेश-आजम को जवाब!
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अब जब अखिलेश यादव विधानसभा में विपक्ष के नेता बनेंगे तो जरूरी है कि उन्हें जवाब देने वाला कोई ऐसा व्यक्ति मौजूद रहे जो उन्हें करारा जवाब दे सके। उनका मानना है कि यूपी भाजपा के पास सिर्फ केशव ही हैं जो तथ्यों के साथ अखिलेश और आजम खान को जवाब दे सकते हैं।

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