वाराणसी में सर्वे के दौरान शिवलिंग मिलने के बाद हिंदू पक्ष का दावा सामने आया है। हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि हम फव्वारे और शिवलिंग के बीच का अंतर जानते हैं। इसी के साथ उसके चारों तरफ बने घेरे को तोड़ने की याचिका दी गई है।
वाराणसी: उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर मुस्लिम और हिंदू पक्ष के अपने अलग-अलग दावे सामने आ रहे हैं। यह मामला कोर्ट में जा चुका है। जहां मुस्लिम पक्ष वजूखाने में मिले पत्थर को फव्वारे का हिस्सा बता सील हटाने की मांग कर रहा है। वहीं हिंदू पक्ष की ओर से इसे प्राचीन शिवलिंग बताकर इसके चारों ओर बने घेरे को तोड़ने की याचिका दी है।
'हमें फव्वारे और शिवलिंग के बीच का अंतर पता है'
मुस्लिम पक्ष की ओर से किए गए दावे पर वकील विष्णु जैन ने कहा कि उन्हें फव्वारे और शिवलिंग के बीच का अंतर पता है। अगर यह वास्तव में फव्वारा होता तो उसके नीचे पानी के निकलने का पूरा सिस्टम होता। उसमें कुछ डंडियां डाली गई थीं। लेकिन वह बहुत ज्यादा अंदर तक नहीं जा सकीं। विष्णु जैन ने आगे कहा कि वजूखाने में जो स्तंभ मिला वह शिवलिंग की तरह ही है। यह शिवलिंग खंडित हुआ है या नहीं इसके बारे में वह पुख्ता तौर पर नहीं बता सकते हैं। लेकिन उनकी और हिंदू पक्ष की नजरों में वह शिवलिंग ही है।
कोर्ट कमिश्नर पेश करेंगे रिपोर्ट
विष्णु जैन के द्वारा बताया गया कि अभी वह आधिकारिक तौर पर इतना ही कह सकते हैं कि वहां एक शिवलिंग मिला है। आगे न्यायालय के सामने कोर्ट कमिश्नर के तौर पर रिपोर्ट पेश की जाएगी। इसमें आगे की बहस होगी। वहीं आनन-फानन में उस जगह को सील करने के आदेश पर उन्होंने कहा कि जिस समय यह सबूत मिला उस दौरान तकरीबन एक बज रहा था। तमाज का वक्त हो गया था। लिहाजा उसे सुरक्षित रखना आवश्यक था। कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से इसकी सुरक्षा को लेकर अंतरिम आदेश दिए।
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