23 साल बाद मृतक और उसके परिजनों को कोर्ट से न्याय मिला। आपको बता दें कि फ़र्रुखाबाद के एक गांव में 23 साल पहले ग्रामीण की हत्या कर दी गई थी। मामला कोर्ट पहुंचा और अब जाकर ग्राम प्रधान समेत अन्य आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
फर्रुखाबाद: पुलिस महकमे की न्याय प्रणाली पर अक्सर लोग सवाल खड़ा करते हैं। लेकिन मामला कोर्ट में पहुंचने के बाद आम लोगों ने न्याय मिलने की उम्मीद बेहद बढ़ जाती है। लिहाजा, उन्हें देर सवेर न्याय मिल ही जाता है। ऐसा ही कुछ यूपी का फर्रुखाबाद में देखने को मिला, जहां 23 साल बाद मृतक और उसके परिजनों को कोर्ट से न्याय मिला। आपको बता दें कि फ़क़र्रुखबाद के एक गांव में 23 साल पहले ग्रामीण की हत्या कर दी गई थी। मामला कोर्ट पहुंचा और अब जाकर ग्राम प्रधान समेत अन्य आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
23 साल पहले आरोपियों ने घर में घुसकर की थी फायरिंग, इलाज के दौरान हुई थी मौत
पूरा मामला फर्रुखाबाद जिले के मोहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र स्थित गांव गैसिंगपुर का है। जहां रहने वाले वीरेंद्र सिंह ने 23 अप्रैल 1999 को स्थानीय थाने में एक मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें उन्होंने कहा कि गांव के ही रहने वाले शरद उर्फ छोटे भइया उर्फ मोनू राठौर, उनके परिवारी दीपू, संजीव उर्फ छोटे गुड्डू से रंजिश चल रही थी। 23 अप्रैल 1999 को तीनों आरोपित गांव निसाई निवासी अवधेश, रामेश्वर, जागेश्वर तेली व रामसेवक के साथ बंदूक, रायफल व अन्य असलहेे लेकर उनके घर में घुस आए और फायरिंग शुरू कर दी। गोली लगने से भतीजा सुखेंद्र गंभीर रूप से घायल हो गया। इसके अलावा उनके, भाई वीरेंद्र व राजवीर भी घायल हुए। घायल सुखेन्द्र को आनन फानन में इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी ठीक दो दिन बाद इलाज के दौरान 25 अप्रैल को मौत हो गई।
दलीलें सुनने के बाद जज ने आजीवन कारावास की सुनाई सजा
मामले में शिकायत दर्ज कराने के बाद तारीख लगातार बढ़ती चली गयी। इस मामले को लेकर न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल होने के बाद सुनवाई के दौरान एडीजीसी तेज सिंह राजपूत, संजीव कुमार पाल, राजीव भगोलीवाल, सुनील राठौर व बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद अपर जिला सत्र न्यायाधीश ने शरद उर्फ मोनू राठौर व दीपू को हत्या का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास व एक-एक लाख रुपये जुर्माना, संजीव, अवधेश, रामेश्वर, जागेश्वर व रामसेवक को उम्रकैद, 50-50 हजार रुपये जुर्माना, घर में घुसकर मारपीट करने पर पांच वर्ष की कैद, पांच-पांच हजार रुपये जुर्माना, दहशत फैलाने में दो-दो वर्ष की कैद व चार-चार हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। इतना ही नहीं, सुनवायी के वक्त न्यायाधीश ने जुर्माने की वसूली गई राशि से 60 प्रतिशत धनराशि वादी वीरेंद्र पाल सिंह को व 10-10 प्रतिशत धनराशि घायल राजवीर व श्याम वीर सिंह को मुआवजे के रूप में देने के आदेश दिए गए हैं।