
रवि प्रकाश सिंह
आजमगढ़: फूलपुर विधानसभा एक बार फिर से सुर्खियों में है जिसकी वजह है समाजवादी पार्टी द्वारा यादव के नेता माने जाने वाले आजमगढ़ के बाहुबली पूर्व सांसद रमाकांत यादव को अपना प्रत्याशी बनाया जाना। वर्तमान समय में इस सीट पर रमाकांत यादव के बेटे अरुण कांत यादव भारतीय जनता पार्टी से विधायक हैं। ऐसे में यदि एक बार फिर बीजेपी अरुण कांत यादव को प्रत्याशी बनाती है तो निश्चित तौर पर ये कहा जा सकता है कि इस विधानसभा सीट पर पिता पुत्र के बीच टक्कर भरी सियासी जंग देखने को मिलेगी।
सपा रमाकांत यादव का राजनीतिक इतिहास
पूर्व सांसद और पूर्वांचल की बाहुबली नेता कहे जाने वाले रमाकांत यादव के सियासी सफर की शुरुआत इसी विधानसभा सीट से हुई थी। पहली बार 1985 में इंडियन कांग्रेस के टिकट पर रमाकांत यादव ने इस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था और चुनाव जीतकर अपने सियासी पारी खेलने की शुरुआत की थी। साल 1989 में रमाकांत यादव ने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद साल 1991 में रमाकांत यादव ने बहुजन समाज पार्टी का दामन छोड़ जनता पार्टी से चुनाव लड़ा और चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचने का काम किया था। साल 1993 में इन्होंने एक बार फिर पार्टी बदली और समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ कर अपना दबदबा कायम रखा।
अरुणकांत यादव का राजनीतिक इतिहास
मौजूदा भारतीय जनता पार्टी के विधायक अरुण कांत यादव 2007 में पहली बार समाजवादी पार्टी के सीट पर विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे। उसके बाद से साल 2017 में वह भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर विधायक बने। अरुण कांत यादव वर्तमान समय में भाजपा में ही हैं जबकि उनके पिता रमाकांत यादव ने अपना खेमा बदल दिया है। फूलपुर विधानसभा इसलिए भी बहुत खास है क्योंकि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय राम नरेश यादव इसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते थे और चुनाव जीतकर वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने।
कब किसने मारी बाजी
अब बात करते हैं फूलपुर विधानसभा के राजनीतिक समीकरणों की इस सीट पर हमेशा से समाजवादी पार्टी का बोलबाला रहा है। वर्तमान में इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के अरुण कांत यादव विधायक हैं। इस सीट पर एक बार जेएनपी, तीन बार कांग्रेस, एक बार आईसीजे, एक बार बहुजन समाज पार्टी, एक बार जनता पार्टी, तीन बार समाजवादी पार्टी और एक बार भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है। बात यहां के मुद्दों की करें तो क्षेत्र की जर्जर सड़कें और बिजली की सुदृढ़ व्यवस्था यहां के प्रमुख मुद्दे हैं।
जातिगत आंकड़ा
वहीं अगर जातिगत समीकरणों की बात की जाएं तो यहां पर यादव लगभग 61 हजार, अनुसूचित जातियां लगभग 45 हजार, मुस्लिम लगभग 44 हजार, क्षत्रिय लगभग 18 हजार और ब्राह्मण भी लगभग 16 से 18 हजार हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में जिस तरह से समाजवादी पार्टी ने रमाकांत यादव को अपना प्रत्याशी घोषित किया है उसके बाद से यहां भीतरी तौर पर उनका विरोध भी शुरू हो चुका है जिसकी वजह है रमाकांत यादव का बार-बार दल बदलना। ऐसे में यदि भारतीय जनता पार्टी उनके पुत्र को चुनावी मैदान में उनके सामने खड़ा करती है तो मुकाबला बेहद दिलचस्प रहेगा। या फिर पिता और पुत्र के बीच की लड़ाई का फायदा किसी तीसरे दल को मिलता है या अभी यहां एक अहम बात होगी।
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