CM योगी ने मुलायम से उनके घर पर की मुलाकात, शिवपाल रहे मौजूद-अखिलेश रहे नदारद

सीएम योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव से उनके घर पर मुलाकात की। इस दौरान मुलायम के साथ उनके छोटे भाई शिवपाल यादव भी मौजूद रहे। हालांकि, अखिलेश यादव की गैर मौजूदगी को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है।

Asianet News Hindi | Published : Oct 30, 2019 7:20 AM IST / Updated: Oct 30 2019, 12:55 PM IST

लखनऊ (Uttar Pradesh). सीएम योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव से उनके घर पर मुलाकात की। इस दौरान मुलायम के साथ उनके छोटे भाई शिवपाल यादव भी मौजूद रहे। हालांकि, अखिलेश यादव की गैर मौजूदगी को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है। बता दें, साल 2018 में दीपावली पर सीएम योगी ने मुलायम सिंह से ऐसे ही मुलाकात की थी। उस समय शिवपाल और अखिलेश दोनों मौजूद थे। 

शिवपाल की मौजूदगी पर लगाए जा रहे ये कयास
जानकारी के मुताबिक, मुलायम से मुलाकात कर सीएम योगी ने उन्हें दीपावली की शुभकामनाएं दी। साथ ही उनकी सेहत का हालचाल लिया। वहीं, इस मुलाकात के दौरान शिवपाल का मुलायम के साथ मौजूद होने को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि शिवपाल मुलायम के साथ मिलकर दोबारा से परिवार को एक करने की जुगत में लगे हैं।

शिवपाल ने कहा था-नेताजी के साथ बैठ जाएं तो तीसरे की जरूरत नहीं
हाल ही में शिवपाल ने अखिलेश का नाम लिए बिना कहा था, हमने उन्हें नेता माना, सीएम माना, लेकिन कुछ षड़्यंत्रकारी सफल हो गए। इसका खामियाजा सपा को उठाना पड़ा। मेरे मन में अभी भी पूरी गुंजाइश है। नेताजी के साथ बैठ जाएं तो तीसरे किसी की जरूरत नहीं होगी। उनकी तरफ से सुलह की पूरी गुंजाइश है। शिवपाल के इस बयान के बाद अखिलेश ने कहा था, शिवपाल का घर में स्वागत है। अगर वो वापस आते हैं तो आंख बंद कर शामिल कर लूंगा। 

ऐसे शुरू हुई थी चाचा भतीजे के बीच खींचतान 
साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम कुनबे में वर्चस्व की जंग छिड़ गई थी। इसके बाद अखिलेश ने पार्टी पर अपना राज कायम कर लिया। इसी वजह से अखिलेश और शिवपाल के बीच दूरियां काफी बढ़ गईं। हालांकि, पार्टी की नींव रखने वाले मुलायम सिंह यादव सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने दोनों के बीच सुलह-समझौते की काफी कोशिशें कीं, लेकिन सफलता नहीं मिली। मुलायम को जहां पार्टी को आगे ले जाने में उनके साथ कंधे से कंधा मिलकर चलने वाले अपने छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव से लगाव था। वहीं, दूसरी ओर पुत्रमोह भी उनके रास्ते में आड़े आ गया। नतीजा ये हुआ कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले शिवपाल ने अपने समर्थकों के साथ खुद का राजनीतिक दल प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बना दिया।

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