भारत आजादी के अमृत महोत्सव मना रहा है। ऐसे में हम उन क्रांतिकारियों को याद कर रहे हैं जिन्होंने देश की आजादी में अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया। इन्ही में से एक थे केरल के रहने वाले वक्कम अब्दुल खादर। जानें उनकी कहानी
वीडियो डेस्क। महज 26 साल की उम्र में देश की आजादी के लिए शहीद होने वाले वक्कम अब्दुल खादर को लोग आज भी श्रद्धा से याद करते हैं। वक्कम अब्दुल खादर ने शहीद होने से पहले जो पत्र लिखा था, वह कुछ इस तरह था। मेरे प्यारे पिता, मेरी दयालु मां, मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, मैं आप सब से हमेशा के लिए विदा ले रहा हूं। मृत्यु कल सुबह 6 बजे से पहले मेरी मृत्यु हो जाएगी। जब आपको प्रत्यक्षदर्शियों से पता चलेगा कि मैं कितने साहस और खुशी से फांसी के फंदे पर चढ़ा तो आपको प्रसन्नता होगी। आपको अवश्य ही गर्व होगा..। ये क्रान्तिकारी के अंतिम पत्र की पंक्तियां हैं, जो उन्होंने फांसी पर लटकाए जाने से कुछ घंटे पहले परिवार को लिखा था। ये 26 वर्षीय शहीद वक्कम मोहम्मद अब्दुल खादर थे जिन्हें वक्कम खादर के नाम से भी जाना जाता है। क्रांतिकारी को उनकी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए सुभाष चंद्र बोस की भारतीय राष्ट्रीय सेना में काम करने की वजह से मार दिया गया था। इस बहादुर नौजवान को केरल के भगत सिंह के नाम से भी जाना जाता है।