राजस्थान के अलवर जिले में बंदर की शव यात्रा चर्चा का विषय बनी हुई है। बंदर को ठेले पर बैठाकर बैंड बाजों के साथ शव यात्री निकाली गई। 2 किमी की शव यात्रा के बाद बंदर का श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया गया
वीडियो डेस्क। राजस्थान के अलवर जिले से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां शनिवार देर शाम निकाली गई एक शव यात्रा चर्चा का विषय रही। यह शव यात्रा किसी मनुष्य नही बल्कि एक बंदर की थी। अपने किले की खूबसूरती के लिए जाने वाले अलवर जिले के नीमराणा इलाके में मेन बाजार में करंट लगने से एक बंदर बुरी तरह से झुलस गया। जो कई देर तक पेड़ के नीचे पड़ा रहा। इसके बाद जब वहां से गुजर रहे एक ऑटोमोबाइल इंजीनियर जसवीर ने उसकी हालत देखी तो उससे रहा नहीं गया। जसवीर ने बंदर को इलाज के लिए नजदीकी सेंटर पर लेकर गया। लेकिन वहां से मंदिर को अलवर के लिए रेफर कर दिया। शुक्रवार देर शाम उसकी मौत हो गई।
जसवीर ने बताया कि बंदर के प्रति हिंदू धर्म में हमेशा से आस्था है। क्योंकि वह हमेशा से बजरंगबली के रूप में पूजे जाते हैं। शनिवार का दिन था भी हनुमान जी का वार। इन लोगों ने सोचा कि क्यों न बंदर में की शव यात्रा निकाली जाए। इसके बाद सभी ने तैयारी की और एक ठेले पर सजा सजा कर बंदर की अंतिम यात्रा ढोल बाजे के साथ शुरू की उम्र विराम जो स्टेशन रोड से श्मशान घाट तक करीब 2 किलोमीटर तक निकाली गई। शव यात्रा में करीब 30 से ज्यादा लोग शामिल थे।
राजस्थान में यह पहला मामला नहीं है जब किसी पशु की मौत के बाद इस तरह से अंतिम यात्रा निकाली गई हो। इससे पहले भी कई मौके ऐसे थे जब गाय बकरी भैंस समेत कई जानवरों के उनकी मालिकों ने शव यात्रा निकाली और एक व्यक्ति की तरह ही उनका भी अंतिम संस्कार किया। यहां तक कि कई बार तो वह तमाम रस्में निभाई गई जो एक मनुष्य के अंतिम संस्कार पर निभाई जाती है।