शिक्षकों और बच्चों के बीच जो आत्मीय प्रेम है वह आसुओं में बहता साफ दिख रहा है। शिक्षका के फेयरवेल देने के दौरान छात्राएं इतनी रोई कि टीचर भी अपनी रुलाई नहीं रो सके। राजस्थान के टोंक जिले से सामने आया वीडियो
टोंक। टीचर का सपना होता है कि उनके छात्र उन्हें याद रखें और छात्र भी चाहते हैं कि उनके टीचर उनसे अपने बच्चों की तरह व्यवहार करें और उसी तरह से पढाए। राजस्थान से इन दिनों शिक्षकों के गुस्से का शिकार हो रहे बच्चों की खबरें चल रही हैं, लेकिन इन सबसे बीच टोंक जिल के देवरी के वीडियो ने लोगों को भावुक कर दिया। शिक्षकों और बच्चों के बीच जो आत्मीय प्रेम है वह आसुओं में बहता साफ दिख रहा है। शिक्षका के फेयरवेल देने के दौरान छात्राएं इतनी रोई कि टीचर भी अपनी रुलाई नहीं रो सके। लेकिन सरकारी के फैसलों का स्वागत करना भी जरुरी था, नियमानुसार उनका तबादला कर दिया गया था।
टोंक के देवली में रोती ही रह गई बच्चियां, बोली मत जाओ ना मैडम
दरअसल टोंक जिले के देवली में स्थित चांदसिंह पुरा के राजकीय विद्यालय में टीचर गरिमा कवरिंया का टोंक से बीकानेर के लिए तबादला कर दिया गया था। दो दिन पहले ही तलादला लिस्ट में उनका नाम सामने आया था। बच्चों को जब इसका पता चला तो बच्चों ने मैडम को नहीं जाने की अपील की। लेकिन मैडम ने कहा कि चार साल हो गए हैं अब तो जाना ही होगा। गरिमा कवंरिया स्कूल में अग्रेजी की टीचर थीं और करीब दो सौ बच्चों को अपने विशेष अंदाज में पढ़ाती थीं। उनके कार्यकाल के दौरान स्कूल का परिणाम भी और ज्यादा बेहतर हुआ था। रविवार को उनकी विदाई का कार्यक्रम स्कूल में ही रखा गया था। इस दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण भी उपस्थित रहे। अपनी मैडम के लिए बच्चों की रुलाई फूटी तो वहां मौजूद ग्रामीण भी अपने आसुं नहीं रोक सके। इससे पहले इसी तरह का एक वीडियो अलवर के आवासिय स्कूल से भी सामने आया था। वहां पर भी चार साल के बाद चार शिक्षकों का तबादला कर दिया गया था।