पीएम मोदी ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के शिलान्यास पर कहा था कि ये शिलान्यास बाबा विश्वनाथ की मुक्ति का पर्व हैं । साथ ही पीएम मोदी ने विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा था कि अगर पूर्व की सरकारों का सहयोग मिलता तो आज वो लोकार्पण कर रहे होते।
वाराणसी: 8 मार्च 2019 को शिलान्यास के बाद दो साल के भीतर ही अब पीएम मोदी(PM Modi) का महत्वकांक्षी परियोजना काशी विश्वनाथ कॉरिडोर(Kashi Vishwanath Corridor) तैयार हो चुका है। खरमास शुरू होने के ठीक पहले 13 दिसम्बर को पीएम मोदी विश्वनाथ कॉरिडोर को लोकार्पित करेंगे। यूपी विधानसभा चुनाव(UP Vidhansabha Chunav 2022) के ठीक पहले उद्घाटन पर इसे एक सियासी प्रयोग के तौर पर देखा जा रहा है। उद्घाटन के साथ ही पीएम मोदी विकास के साथ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अपने एजेंडे का भी साफ सन्देश देंगे।
अधिग्रहण से लेकर निर्माण तक करीब 600 करोड़ हुए हैं खर्च
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के लिए मन्दिर के आसपास की करीब 40 हज़ार वर्गमीटर क्षेत्र का अधिग्रहण किया गया। मन्दिर परिसर के आसपास सघन आबादी को विस्थापित करना सबसे बड़ी समस्या थी। इसके लिए करीब 260 भवन स्वामियों के साथ साथ इसमें रहने वाले किरायेदारों को मुआवजा राशि दी गयी। कॉरिडोर निर्माण के लिए अधिग्रहण में करीब दो वर्ष का समय लगा। अधिग्रहण के बाद पुराने मंदिरों के संरक्षण का बड़ा मुद्दा था। अधिग्रहण के बाद कई पुराने मन्दिर और विग्रहों का पता चला। करीब 125 छोटे बड़े मन्दिर और विग्रहों को इस कॉरिडोर में एक श्रृंखला के तौर पर स्थापित किया गया है। इस कॉरिडोर के निर्माण में अधिग्रहण और निर्माण पर करीब 600 करोड़ की राशि खर्च हुई है। पूरे परिसर का क्षेत्रफल करीब 55 हज़ार वर्गमीटर में फैला हुआ है।
11 अर्चकों के साथ पीएम मोदी करेंगे अर्चन पूजन
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री और काशी हिंदू विश्वविद्यालय प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने बताया कि पीएम मोदी 13 दिसंबर को 11 अर्चकों के साथ बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक और पूजन अर्चन करेंगे। इतना ही नहीं, इस भव्य आयोजन के लिए सभी बारह द्वादश ज्योतिर्लिंग के अर्चक को न्योता दिया गया है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन पर चारों पीठ के पीठाधीश्वर और धर्माचार्य भी उपस्थित रहेंगे। इसका जिम्मा अखिल भारतीय संत समिति के ऊपर है। 245 वर्षों के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर के ज़ीरोंद्धार का कार्य कराया गया है। इससे पूर्व अहिल्याबाई ने मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य कराया था लेकिन उस वक्त भी महज मंदिर के गर्भ गृह और उसके आसपास ही निर्माण हुआ था। लेकिन इस बार पीएम मोदी ने 2014 में जो संकल्प लिया था, उसकी सिद्धि अब पूरी हो रही है।