वो मर्द जिन्हें आते हैं पीरियड्स, महीने में 5 दिन झेलते हैं भयंकर दर्द

दुनिया में आज भी ट्रांसजेंडर्स को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। उनकी जिंदगी से जुड़ी ऐसी कई तकलीफें हैं, जिसे वो खुलकर सामने नहीं रख पाते। इनमें से एक हैं उनके पीरियड्स। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 12, 2020 9:40 AM IST

हटके डेस्क: आमतौर पर सभी को इस बात की जानकारी है कि एक महिला हर महीने पीरियड्स से गुजरती है। इस दौरान उसकी बॉडी में कई हार्मोनल बदलाव आते हैं, जिसकी वजह से उनके व्यवहार और शरीर में अंदर और बाहर कई बदलाव आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ट्रांसजेंडर को भी पीरियड्स से गुजरना पड़ता है? जेंडर आइडेंटिटी से जूझने वाले वॉशिंगटन के आर्टिस्ट कैस क्लेमेर ने अपने साथ होने वाले इस बदलाव को लोगों के साथ शेयर किया।   

15 साल की उम्र में शुरू हुआ था पीरियड 
कैस जब 15 साल के थे, तब पहली बार उनके पीरियड्स शुरू हुए थे। उस समय से पहले उन्हें इसका की अंदाजा नहीं था। उनकी छाती सपाट थी। सबको लगता था कि वो एक आम लड़का हैं। लेकिन इसके बाद अचानक उनके पीरियड्स शुरू हुए और उनकी पूरी दुनिया बदल गई। जब ऐसा हुआ, तब पता चला कि कैस असल में ट्रांसजेंडर है। 

उजड़ गई थी दुनिया 
पीरियड्स शुरू होने के बाद कैस को ऐसा लगा कि उसकी जिंदगी बर्बाद हो गई। उस्बे किसी से बात करनी बंद कर दी। कैस किसी से बातचीत नहीं करते थे। यहां तक कि उन्होंने सुसाइड की भी कोशिश की। उन्हें समझ आ गया था कि वो ना तो मर्द है ना ही औरत। हालांकि परिवार के सपोर्ट से वो इस सदमे से उबरे और आज पीरियड एक्टिविस्ट के तौर पर काम कर रहे हैं।  

बड़ी मुश्किलों का करते हैं सामना 
कैस को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। दरअसल, लोगों को पता ही नहीं होता कि ट्रांसजेंडर ब्लीड करते हैं। उन्हें भी पीरियड्स आते हैं। कैस ने बताया कि इस दौरान उन्हें भी भीषण दर्द का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं, उन्हें भी मूड स्विंग्स होते हैं। दिक्कत तो पब्लिक प्लेस पर भी होती है। टॉयलेट में पीरियड्स के दौरान पैड चेंज करने के लिए जब वो फीमेल वाशरूम में जाते हैं, तब भी उन्हें काफी बेइजत्ती का सामना करना पड़ता है।  

संघर्ष को मिला साथ 
कैस ने ट्रांसजेंडर्स को बराबर का हक़ देने के लिए अपनी कहानी लोगों के सामने रखी। उन्होंने अपना दर्द तस्वीरों के जरिये लोगों को बताया। आज के समय में ट्रांसजेंडर्स को हर जगह बर्ताबार का हक़ दिया जा रहा है। कई जगह पब्लिक टॉयलेट में अब ट्रांसजेंडर्स के लिए अलग से सेक्शन बनाया गया है। लेकिन इनका दर्द अभी भी कम नहीं हुआ है। कैस के मुताबिक, आने वाले समय में शायद ट्रांसजेंडर्स को बराबर का हक़ दिया जाएगा।  

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