प बंगाल में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। ऐसे में जहां भाजपा बंगाल में सत्ता हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा रही है, वहीं ममता सत्ता की हैट्रिक लगाने के लिए पुरजोर कोशिश में जुटी हैं। लेकिन माना जा रहा है कि भाजपा इस बार बंगाल में ममता को सत्ता से बेदखल कर सकती है। यह बात Peoples Pulse के सर्वे में सामने आई है।
कोलकाता. प बंगाल में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। ऐसे में जहां भाजपा बंगाल में सत्ता हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा रही है, वहीं ममता सत्ता की हैट्रिक लगाने के लिए पुरजोर कोशिश में जुटी हैं। लेकिन माना जा रहा है कि भाजपा इस बार बंगाल में ममता को सत्ता से बेदखल कर सकती है। यह बात Peoples Pulse के सर्वे में सामने आई है।
Peoples Pulse ने सर्वे में प बंगाल की 294 सीटों को 5 भागों में बांटा हैं। ये उत्तरी बंगाल, अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र, मध्य बंगाल, जंगल महल और साउथ महल हैं। हम इस रिपोर्ट में उत्तर बंगाल की बात करेंगे।
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क्या हैं जातिगत आंकड़े?
इस क्षेत्र में 4 लोकसभा सीटें आती हैं। दार्जलिंग, जलपाईगुरी, अलीपुरद्वार्स और कूच बिहार। इस क्षेत्र में एससी, एसटी की संख्या ज्यादा है। इसके अलावा राजबंशी, नमोशूद्र और गोरखाओं का वर्ग भी अलग अलग हिस्सों में पाया जाता है।
यहां तृणमूल के खिलाफ भावनाएं तेजी से बढ़ती दिख रही हैं। इसके अलावा हिंदुत्व का मुद्दा भी इस क्षेत्र में हावी होता दिख रहा है। हालांकि, यह मुस्लिम साफ तौर पर टीएमसी के साथ खड़ा नजर आ रहा है।
क्षेत्र में कौन से मुद्दे हैं हावी?
भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार टीएमसी के लिए सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने वाला मुद्दा बन गया है। कट मनी, तोलबाजी जैसे शब्द आम लोगों के बीच भी काफी घूम रहे हैं। यहां तक की यहां लॉकडाउन में मनरेगा जैसी स्कीम से भी लोगों को फायदा नहीं पहुंचा।
बेरोजगारी: बेरोजगारी के चलते टीएमसी से युवा भी इस चुनाव में मुंह मोड़ने का मन बना चुके हैं। युवा साफ कर चुके हैं कि वे बेरोजगार होने की बजाय कि वे आर्थिक सशक्तिकरण की ओर बढ़ना चाहते हैं। इतना ही नहीं बताया जा रहै है कि यहां 10 साल से WBSSC टीचर्स भर्ती तक नहीं हुई।
राजनीतिक हिंसा
जमीनी स्तर की बात करें तो हिंदू समुदाय दो वजहों से बदलाव का मन बना चुका है। पहला हर दिन भ्रष्टाचार का सामना करना और दूसरा सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा राजनीतिक विपक्षियों पर हमले। लोगों का कहना है कि जहां लेफ्ट अपने विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाता था। वहीं, टीएमसी आम आदमियों को भी नहीं छोड़ता।
एनआरसी-नागरिकता कानून
पहली बात ये है कि आम लोगों इन दोनों में कोई अंदर नहीं समझते। इस मुद्दे का हिंदुओं पर असर दिख रहा है। राजबंशियों और अन्य से जब इस बारे में पूछा गया तो वे बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए एनआरसी के समर्थन में बोलते दिखते हैं, वहीं, वे नागरिकता कानून का समर्थन कर हिंदुओं को नागरिकता के पक्ष में दिखते हैं।
वहीं, दूसरी ओर मुस्लिम वोटरों को यह मुद्दा भाजपा से दूर भगाता दिख रहा है।
हिंदुत्व
बहुसंख्यक हिंदू समुदाय जो बंगाल में परिवर्तन चाहता है, उसके लिए हिंदुत्व तृणमूल के खिलाफ भड़काने वाला मुद्दा है। वहीं, इस मामले में लोगों को कांग्रेस और वाम दलों पर भी भरोसा नहीं है। ऐसे में इस मुद्दे का सीधा फायदा भाजपा को होता दिख रहा है।
क्या है राजनीतिक पार्टियों की स्थिति?
भाजपा : संगठनात्मक रूप से कमजोर है। स्थानीय लीडरशिप की कमी। इसके बावजूद एंटी टीएमसी भावनाओं का फायदा होता दिख रहा है।
टीएमसी: भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और विपक्षी पार्टी के खिलाफ राजनीतिक हिंसा के चलते टीएमसी लोकप्रियता खोती जा रही है।
सीपीएम : पार्टी की छवि में सुधार हुआ है। लेकिन लोग इस चुनाव में पार्टी को महत्व नहीं दे रहे हैं।
कांग्रेस : चुनाव में वरीयता नहीं दे रहे लोग।