Taliban की पागलपंती: हुक्म नहीं मानने पर मासूम को सरेआम कोड़े मारे; वो रोता रहा, पर जालिम हाथ नहीं रुके

Afghanistan की Taliban सरकार में फिर से 20 साल पुरानी दहशत लौट आई है। अपनी क्रूर सजाओं के लिए कुख्यात Taliban अब मासूमों को भी नहीं छोड़ रहा। उन्हें सरेआम कोड़े मारे जा रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Sep 25, 2021 3:19 AM IST / Updated: Sep 25 2021, 08:50 AM IST

काबुल. Afghanistan में Taliban दहशत के बूते अपनी सरकार चलाना चाहता है। यह बात वो खुद स्वीकार कर चुका है। तालिबान के संस्थापक सदस्य मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी ने न्यूज एजेंसी AP को एक इंटरव्यू में संकेत दिए कि तालिबानी शासन में लोगों को क्रूर सजा देने का सिलसिला जारी रहेगा। क्योंकि तालिबान का तर्क है कि सुरक्षा के लिए हाथ काटने की सजा देना जरूरी है। ऐसी क्रूर सजाएं लोगों में खौफ पैदा करती हैं। हालांकि तालिबान अभी यह तय करने में लगा कि ऐसी सजाएं सावर्जनिक दी जाएं या नहीं। इसके लिए तालिबान सरकार पॉलिसी बना रहा है।

लेकिन सावर्जनिक सजा देने का सिलसिला शुरू
मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी के बयान से साफ हो गया है अफगानिस्तान में फिर से 20 साल पुराना खौफनाक दौर लौट रहा है। यह वीडियो इसकी एक बानगी है।

यह पागलपंती है 
यह वीडियो नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स(NRF) के समर्थन में twitter पर चलने वाले पेज Panjshir_Province पर शेयर किया गया है। इसमें लिखा गया-'उन्हें एक युवा लड़के को दंडित क्यों करना पड़ा? उसे सार्वजनिक रूप से क्यों रोना पड़ा? नई पीढ़ी की मानसिकता बदलने के लिए शिक्षा ही एकमात्र रास्ता है; सजा नहीं।'

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कुरान के आधार पर कानून बनाने पर जोर
तालिबान अफगानिस्तान में कुरान के आधार पर कानून व्यवस्था बनाने में लगा है। 90 के दशक में काबुल के स्टेडियम और ईदगाह मस्जिद के मैदान में लोगों को सरेआम क्रूर सजाएं दी जाती थीं।

तालिबान ने फिल्म देखने की इजाजत नहीं दी है
यह वीडियो तोलाकान शहर(Tolaqan city) के करीब एक गांव का है।  यहां इस तरह से छुपकर मिनी सिनेमा चल रहे हैं। यहां 5 अफगानी मुद्रा में फिल्म देखने वालों को आइसक्रीम और फ्रेंच फ्राइस(French fries) दिया जाता है। हालांकि यहां फिल्में देखना खतरे से खाली नहीं है, क्योंकि तालिबान ने अभी फिल्में देखने की इजाजत नहीं दी है।

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