अफगानिस्तान (Afghanistan) में आर्थिक हालात (Economic Crisis) कुछ इस तरह बन गए हैं कि बड़ी संख्या में बच्चों और महिलाओं को ईंट भट्ठों (Brick Factories) पर काम करना पड़ रहा है। करीब 9 लाख लोगों की जॉब्स भी छिनी हैं।
Afghanistan Economic Crisis. पिछले साल तालिबान द्वारा अफगानिस्तान की सत्ता हथियाने के बाद वहां के आर्थिक हालात दिन ब दिन खराब होते जा रहे हैं। यही कारण है कई परिवारों और बच्चों तक को ईंट फैक्ट्री में काम करना पड़ रहा है। रिपोर्ट्स की मानें तो कुछ ईंट भट्ठा मालिकों के अनुसार हालात ऐसे हैं कि मात्र 3 ईंट भट्टा फैक्ट्रियों में 170 परिवार अपने बच्चों के साथ हार्ड वर्क कर रहे हैं।
क्या हैं अफगानिस्तान के हालात
जानकारी के अनुसार इन फैक्ट्रियों में 170 परिवारों के साथ 60 लोग ऐसे भी हैं, जो बिना अपने परिवार के ईंट भट्ठे में काम कर रहे हैं। ये सभी लोग जलालाबाद से यहां आए हैं। ईंट भट्ठा मालिक अपनी भी परेशानियां बताते हैं। वे कहते हैं कि कोयले की कीमत लगातार बढ़ रही है। इस वजह से इन मजदूरों का मेहनताना भी कम होता जा रहा है। फैक्ट्रियों में काम करने वाले परिवारों के सामने सबसे बड़ी समस्या रोज के भोजन की है। उनके बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं। वे सुबह से लेकर शाम तक इन फैक्ट्रीज में कठिन काम करने पर मजबूर हैं।
दो वक्त की रोटी के लिए काम
कुछ मजदूरों ने यह बताया कि हम यहां इसलिए काम करते हैं ताकि अपने बच्चों को दो वक्त की रोटी दे सकें। एक बच्चे ने बताया कि उसके साथ उसकी दो बहनें भी फैक्ट्री में सुबह से लेकर शाम तक काम कर रही हैं। इतना करने के बाद शाम को हमारे पास 500 अफगानी करेंसी भी जमा नहीं हो पाते। बच्चों ने भी यह माना कि वे काम इसलिए करते हैं ताकि भोजन मिल सके। इन परिवारों को नांगरहार से काबुल तक पहुंचाने वाले सख्श के अनुसार वे हर परिवार 350 अफगानी करेंसी देते हैं, बदले में उन्हें 1000 ईंटें बनानी होती हैं। उसने यह भी बताया कि 70 परिवारों को इन फैक्ट्रियों में लगा चुका है।
9 लाख लोगों की जॉब गई
यूएस की एक रिपोर्ट बताती है कि तालिबान द्वारा सत्ता हस्तांतरण करने के बाद करीब 9 लाख अफगानियों की जॉब छूट गई है। इससे काम करने वाली महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं। अफगानिस्तान में काम करने वाली महिलाओं की संख्या 21 प्रतिशत तक कम हो गई है। तालिबान के आने के बाद बेरोजगारी रॉकेट की तरह बढ़ी है। देश के ज्यादातर भाग में गरीबी बढ़ी है, जिससे लाखों लोगों की जिंदगी प्रभावित हुई है। अंतरराष्ट्रीय लेबर आर्गनाइजेशन की मानें तो 2021 की तीसरी तिमाही तक 5 लाख अफगानियों की जॉब छिन गई। अनुमान है कि यह संख्या 7 लाख से 9 लाख के बीच होगी।
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