ब्रिटेन की एक जेल में बंद नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाला मामले में धोखाधड़ी और मनी लॉड्रिंग के आरोपों का सामना करने के लिए प्रत्यर्पण के भारत के प्रयासों को चुनौती दे रहा है।
वाशिंगटन। भारत के भगोड़े नीरव मोदी (Neerav Modi)को अमेरिका (America)में भी जोरदार झटका लगा है। अमेरिकी कोर्ट (American Court) ने नीरव मोदी व उसके दो साथियों के खिलाफ धोखाधड़ी के केस को खारिज करने से मना कर दिया है। तीन कंपनियों के एक ट्रस्टी ने नीरव मोदी और उसके दो साथियों पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है।
क्या है आरोप?
अमेरिकी कंपनियां हैं फायरस्टार डायमंड, फैंटेसी इंक और ए जैफ। इन तीनों कंपनियों का स्वामित्व परोक्ष रूप से भारतीय कारोबारी नीरव मोदी के पास है। इन कंपनियों के नियुक्त न्यासी रिचर्ड लेविन ने धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। लेविन ने मोदी और उसके साथियों मिहिर भंसाली एवं अजय गांधी को कर्ज देने वालों को हुए 'नुकसान' के लिए 1.5 करोड़ डॉलर का न्यूनतम मुआवजा भी मांगा है।
अदालत से मिला मोदी को झटका
भारतीय अमेरिकी वकील रवि बत्रा ने बताया कि अदालत ने अमेरिकी न्यासी रिचर्ड लेविन की संशोधित शिकायत खारिज करने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया। इस मामले में अभियुक्त नीरव मोदी, महिर भंसाली और अजय गांधी ने अदालत से अनुरोध किया था कि याचिका खारिज कर दी जाए। बत्रा ने बताया कि नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक और अन्य से एक अरब डॉलर की धोखाधड़ी की योजना बनाकर कंपनी के शेयर मूल्य को गलत तरीके से बढ़ाने के लिए अतिरिक्त बिक्री के तौर पर मुनाफा फिर से अपनी कंपनी में ही लगाया।
बत्रा ने बताया कि नीरव मोदी बैंक धोखाधड़ी के जरिए अपनी कंपनियों से गलत तरीके से प्राप्त धन को हासिल करने के लिए तथा अपने निजी फायदे के वास्ते धन की निकासी को छिपाने के लिए एक और धोखाधड़ी में शामिल हो गया और उन्होंने इसे इस तरह दिखाया जैसे यह सामान्य व्यापारिक लेनदेन हो।'
लेविन ने की है यह सिफारिश
अदालत के आदेश के अनुसार, लेविन की याचिका में नीरव मोदी की छह साल की अंतरराष्ट्रीय धोखाधड़ी, धन शोधन और गबन साजिश के परिणामस्वरूप कर्जदारों और उनकी संपदा को नीरव मोदी तथा उसके साथियों से पहुंचे नुकसान के लिए क्षतिपूर्ति करने का अनुरोध किया गया है।
ब्रिटेन में भी चल रहा है मामला
उधर, ब्रिटेन की एक जेल में बंद नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाला मामले में धोखाधड़ी और मनी लॉड्रिंग के आरोपों का सामना करने के लिए प्रत्यर्पण के भारत के प्रयासों को चुनौती दे रहा है।
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