
कैलिफोर्निया(California). माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर बिल गेट्स(Microsoft cofounder Bill Gates) ने भारत को दुनिया की तमाम हर बड़ी समस्याओं का 'हल' बताया है। गेट्स ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत भविष्य के लिए उम्मीद है, जो साबित करता है कि यह देश बड़ी से बड़ी समस्याओं को एक बार में हल कर सकता है। ऐसा तब भी; जब दुनिया कई संकटों का सामना कर रही है। 'बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सह-अध्यक्ष' बिल गेट्स ने अपने ब्लॉग गेट्स नोट्स-Gates Notes में भारत की ताकत की ये तारीफ की है।
अपने ब्लॉग में बिल गेट्स ने लिखा कि उनका मानना है कि सही इनोवेशंस और डिलीवरी चैनलों के साथ दुनिया एक साथ कई बड़ी समस्याओं पर प्रोग्रेस करने में कैपेबल है। गेट्स ने आगे लिखा कि यहां तक कि ऐसे समय में भी जब दुनिया कई संकटों का सामना कर रही है और आमतौर पर उन्हें इसका जवाब मिला है-जैसे, 'एक ही समय में दोनों के लिएलिए पर्याप्त समय या पैसा नहीं है' लेकिन भारत ने सभी जवाबों को गलत साबित कर दिया है। गेट्स ने अपने ब्लॉग में कहा, "भारत ने जो उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है, उससे बेहतर कोई सबूत नहीं है।"
बिल गेट्स ने ब्लॉग में लिखा-पूरी तरह से भारत मुझे भविष्य के लिए आशा देता है। यह दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने जा रहा है, जिसका अर्थ है कि आप वहां अधिकांश समस्याओं का समाधान बड़े स्केल पर हल किए बिना नहीं कर सकते। हालांकि गेट्स ने भारत की तारीफ में कहा कि फिर भी, भारत ने साबित कर दिया है कि वह बड़ी चुनौतियों से निपट सकता है।
गेट्स ने कई उदाहरण दिए। उन्होंने लिखा कि भारत देश ने पोलियो का उन्मूलन किया, एचआईवी संचरण को कम किया, गरीबी को कम किया, शिशु मृत्यु दर में कमी आई और सेनिटाइजेशन और फाइनेंसियल सर्विसेज तक की पहुंच में वृद्धि हुई।
बिल गेट्स ने कहा कि भारत ने इनोवेशन के लिए एक वर्ल्ड लीडिंग अप्रोच डेवलप की है, जो यह एंश्योर करती है कि सॉल्युशन उन लोगों तक पहुंचे हैं, जिन्हें उनकी आवश्यकता है।
गेट्स ने रोटावायरस वैक्सीन का उदाहरण दिया, जो डायरिया के कई घातक मामलों को रोकता है। गेट्स ने लिखा कि यह हर बच्चे तक पहुंचने के लिए बहुत महंगा था, तो भारत ने खुद ही वैक्सीन बनाने का फैसला किया।
गेट्स ने लिखा कि भारत ने वैक्सीन को डिस्ट्रीब्यूट करने के लिए फैक्ट्रीज बनाने और बड़े पैमाने पर डिलीवरी चैनल बनाने के लिए एक्सपर्ट और फंडर्स (गेट्स फाउंडेशन सहित) के साथ काम किया।
गेट्स ने कहा कि 2021 तक 1 वर्ष के 83 प्रतिशत बच्चों को रोटावायरस के खिलाफ वैक्सीन लगाया गया था। ये लो कॉस्ट वैक्सीन अब दुनिया भर के अन्य देशों में उपयोग किए जा रहे हैं।
गेट्स ने बिहार के पूसा स्थित भारत के एग्रीकल्चर रिसर्च इस्टीट्यूट(IARI) की फंडिंग के बारे में बात करते हुए गेट्स ने कहा, “गेट्स फाउंडेशन ने IARI में रिसर्चर्स के वर्क को सपोर्ट करने के लिए भारत के सार्वजनिक क्षेत्र और CGIAR संस्थानों से हाथ मिलाया।
गेट्स ने आगे लिखा कि उन्हें एक नया समाधान मिला: चने की किस्में जिनकी पैदावार 10 प्रतिशत से अधिक है और वे अधिक सूखा प्रतिरोधी(drought-resistant) हैं। एक किस्म पहले से ही किसानों के लिए उपलब्ध है और अन्य वर्तमान में संस्थान में विकसित हो रही हैं। परिणामस्वरूप, भारत गर्म होती दुनिया में भी अपने लोगों को खिलाने और अपने किसानों का सहयोग करने के लिए बेहतर तरीके से तैयार है। यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि भारत का कृषि भविष्य अभी पूसा के एक क्षेत्र में बढ़ रहा है।”
गेट्स ने लिखा-"जलवायु, भुखमरी और स्वास्थ्य जैसी चुनौतियां दुर्गम लगने का एक कारण यह है कि हमारे पास उन्हें हल करने के लिए अभी तक सभी साधन नहीं हैं। लेकिन मैं आशावादी हूं कि जल्द ही एक दिन हम IARI के शोधकर्ताओं जैसे इनोवेटर्स को धन्यवाद देंगे।"
इस बीच, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया पब्लिकेशंस में से एक में प्रकाशित गेट्स के ब्लॉग को भी शेयर किया है। अपने ब्लॉग में गेट्स ने यह भी जानकारी दी कि वह अगले हफ्ते भारत आ रहे हैं, ताकि इनोवेटर्स और एंटरप्रेन्योर्स द्वारा किए जा रहे काम को देख सकें।
गेट्स ने लिखा कि कुछ ब्रेकथ्रूस पर काम कर रहे हैं, जो दुनिया को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद करेंगे, जैसे ब्रेकथ्रू एनर्जी फेलो विद्युत मोहन और उनकी टीम द्वारा दूरस्थ कृषि समुदायों में वेस्ट को बायो फ्यूल और फर्टिलाइजर्स में बदलने के लिए किया जा रहा काम।
गेट्स ने कहा-"अन्य लोगों को गर्म दुनिया के अनुकूल होने में मदद करने के लिए नए तरीके मिल रहे हैं, जैसे कि अधिक सूखा-सहिष्णु फसलें(drought-tolerant crops) यानी सूखे को सहन करने वाली फसलें बनाने के लिए IARI के प्रयास। गेट्स फाउंडेशन और ब्रेकथ्रू एनर्जी के अद्भुत साझेदारों द्वारा पहले से ही हो रही प्रगति को देखने के लिए मैं उत्सुक हूं।"
गेट्स ने कहा-“ग्रह पर हर दूसरे देश की तरह, भारत के पास सीमित संसाधन हैं। लेकिन इसने हमें दिखाया है कि कैसे दुनिया उस बाधा के बावजूद अभी भी प्रगति कर सकती है। नए दृष्टिकोण का सहयोग और प्रयास करके, सार्वजनिक, निजी और परोपकारी क्षेत्र सीमित संसाधनों को धन और ज्ञान के बड़े पूल में बदल सकते हैं, जो प्रगति की ओर ले जाते हैं। अगर हम एक साथ काम करते हैं, तो मेरा मानना है कि हम एक ही समय में जलवायु परिवर्तन से लड़ सकते हैं और वैश्विक स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं।"
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