चीन (China) में बैंकों से लोग अपनी बचत राशि निकालना चाहते हैं लेकिन बैंक (Bank) पैसे देने से मना कर रहे हैं। यही कारण है कि लोगों को पैसा निकालने से रोकने के लिए चीन में टैंकों (Tank) की तैनाती करनी पड़ रही है।
नई दिल्ली. चीन में बैंकों से लोग बचत की निकासी नहीं कर पा रहे हैं। यही कारण है कि लोगों को बैंक से पैसा निकालने से रोकने के लिए चीन में टैंकों की तैनाती करनी पड़ रही है। चीन की सड़कों पर ऐसा नजारा 1989 के बाद दिखाई दिया है। चीन में हालात यह हैं कि बैंकों द्वारा जमा की गई बचत को लोग बड़े पैमाने पर निकाल रहे हैं। बैंकों के सामने मनी विड्रा करने वालों की लंबी लाइन लग रही है। वहीं अब बख्तरबंद टैंकों को भी चीन की सड़कों पर उतारना पड़ रहा है। चीन के हेनान प्रांत में पिछले कई हफ्तों से पुलिस और बैंक जमाकर्ताओं के बीच झड़पें हो रही हैं, जिसमें कहा गया है कि उन्हें इस साल अप्रैल से बैंकों से ही पैसा निकालने से रोका जा रहा है। जानें क्यों बने चीन में ऐसे हालात...
क्यों बने ऐसे हालात
हाल ही में कुछ वीडियो ऑनलाइन सामने आए हैं, जिसमें चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के टैंकों को प्रदर्शनकारियों को डराने के लिए सड़कों पर तैनात करते देखा जा सकता है। बैंक में पैसा जमा करने वाले अपना पैसा निकालने के लिए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो बैंकों की सुरक्षा और स्थानीय लोगों को बैंकों तक पहुंचने से रोकने के लिए टैंक सड़कों पर उतरे गए हैं। यह प्रकरण बैंक ऑफ चाइना की हेनान शाखा द्वारा एक घोषणा के बाद शुरू हुआ जिसमें बैंक ने कहा कि जमाकर्ताओं के खाते में जमा राशि "निवेश उत्पाद" है और इसे वापस नहीं लिया जा सकता।
घटना के बाद उठ रहे गंभीर सवाल
चीन में हो रही यह यह घटना गंभीर सवाल खड़ा कर रही है कि क्या इतिहास खुद को दोहराने जा रहा है। तब 4 जून 1989 को चीन की दमनकारी कार्रवाई आज भी लोगों को याद है। जब तियानमेन स्क्वायर पर प्रदर्शनकारी छात्रों को हटाने के लिए टैंक उतारे गए थे। उस नरसंघार की ढेरों कहानियां हैं। तियानमेन चौक पर हुई उस घटना की 33वीं वर्षगांठ पर दुनिया ने फिर से चीनी सड़कों पर टैंक देखे हैं।
क्या हैं चीन के वास्तविक हालात
माना जाता है कि स्थानीय सरकारों के लिए राजस्व का बड़ा हिस्सा भूमि को पट्टे पर देने से आता है। विशेष रूप से रियल एस्टेट डेवलपर्स के लिए यही नीति होती है और राजस्व मिलता है। लेकिन फिलहाल कई सारी परियोजनाएं अधूरी पड़ी हैं। कई निर्माण कंपनियों ने फिर से जमीन नहीं खरीदी है, जिससे स्थानीय सरकार का राजस्व प्रभावित हुआ है। कुछ दिनों पहले ही चीन की एक प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने कहा था कि 2022 चीन के लिए कठिन वर्ष है। क्योंकि इस वर्ष की पहली छमाही तक भारत में 4,60,000 कंपनियां बंद हो गईं। इससे बड़ा प्रभाव पड़ा है। इस समय चीन में ही 80 मिलियन युवा बेरोजगार हैं।
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