हरकतों से बाज नहीं आ रहा चीन, बातचीत के बावजूद एलएसी पर बढ़ाई सेना, तैनात किए बड़े हथियार

चीन लागातर एलएसी के पास सेना और बड़े हथिायार जमा कर रहा है। बातचीत के बाद भी विवाद का कोई हल नहीं निवक पा रहा है।

rohan salodkar | Published : May 31, 2020 10:40 AM IST / Updated: May 31 2020, 04:39 PM IST

नई दिल्ली. भारत के खिलाफ चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। जहां एक ओर चीन लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर सीमा विवाद को बातचीत से निपटाने की बात कर रहा है, वहीं, दूसरी ओर भारतीय सीमा के नजदीक सेना की तैनाती भी बढ़ा रहा है। इसके अलावा चीन ने इस क्षेत्र में आर्टिलरी गन्स, हैवी युद्ध वाहन तैनात कर दिए हैं। ये वाहन भारतीय क्षेत्र से कुछ ही दूरी पर हैं, थोड़े ही समय में भारत के नजदीक आ सकते हैं। 

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, दोनों देशों के सुरक्षा अधिकारी इस मुद्दे पर लगातार बातचीत कर रहे हैं। अभी तक पूर्वी लद्दाख से लगी इस सीमा को लेकर कोई फैसला सामने नहीं आ पाया है। एलएसी के नजदीक पूर्वी लद्दाख के नजदीक चीन के हैवी युद्ध वाहन साफ दिख रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक चीनी सेना भारतीय सीमा  से 25-30 किमी दूरी पर है और कुछ ही घंटे में भारतीय सीमा के पास आने में सक्षम है।

कहीं साजिश तो नहीं कर रहा चीन
सूत्रों का मानना है कि दोनों देशोंं के कमाडिंग अफसर और ब्रिज कमांडर अधिकारी रोज बात कर रहे हैं लेकिन इसका कोई नतीजा अभी तक सामने नहीं आ पाया है। ऐसे में यह भी अंदाजा लगाया जा रहा कि कहीं चीन बातचीत के समय का इस्तेमाल करते हुए अपनी तैयारी में तो नहीं जुटा है। दोनों देशों के मेजर जनरल रैंक के अधिकारी भी इस मुद्दे को सुलझाने के लिए जल्द ही इस बातचीत करेंगे। चीन भारत से एलएसी के पास इन्फ्रास्ट्रक्चर को न बनाने की मांग कर रहा है। भारत ने भी अपनी सेना एलएसी के पास तैनात करना शुरू कर दी है।

क्या है विवाद?
चीन ने लद्दाख के गलवान नदी क्षेत्र पर अपना कब्जा बनाए रखा है। यह क्षेत्र 1962 के युद्ध का भी प्रमुख कारण था। जमीनी स्तर की कई दौर की वार्ता विफल हो चुकी है। सेना को स्टैंडिंग ऑर्डर्स का पालन करने को कहा गया है। इसका मतलब है कि सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)से घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए बल का इस्तेमाल नहीं कर सकती है। बता दें कि भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। ये सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुज़रती है। ये तीन सेक्टरों में बंटी हुई है। पश्चिमी सेक्टर यानी जम्मू-कश्मीर, मिडिल सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड और पूर्वी सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश।

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एक महीने में तीन बार आमने सामने आए सैनिक

- भारतीय सैनिकों और चीन के बीच इस महीने तीन बार झड़प हो चुकी है। पहली बार पूर्वी लद्दाख की पेंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर 5 मई को झड़प हुई। तब भारत-चीन के करीब 200 सैनिक आमने-सामने हो गए। पूरी रात टकराव की स्थिति बनी रही। सुबह होते ही सैनिकों में झड़प हुई। हालांकि बाद में अफसरों ने मामला शांत करवाया।
- दूसरी झड़प 9 मई को उत्तरी सिक्किम में 16 हजार फीट की ऊंचाई पर नाकू ला सेक्टर में हुई। यहां भारत-चीन के 150 सैनिक आमने-सामने हो गए थे। सैनिकों ने एक-दूसरे पर मुक्कों से अटैक किया।
- तीसरी झड़प भी 9 मई को ही हुई। सैनिकों के बीच झड़प होने पर चीन ने लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर अपने हेलिकॉप्टर भेजे थे। चीन के हेलिकॉप्टर सीमा तो पार नहीं कर पाए, लेकिन जवाब में भारत ने एयरबेस से अपने सुखोई 30 फाइटर प्लेन से खदेड़ दिया।

कोरोना का भी हो रहे शिकार
भारतीय सैनिकों को लद्दाख के पास तैनात किया जा रहै है। उन्हें हवाई उड़ान या फिर सडक़ के रास्तों से लद्दाख में पहुंचाया जा रहा है। इसके कारण सोशल डिस्टेंसिंग न हो पाने के कारण सैनिक भी कोरोना का शिकार हो रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि भारतीय सेना पूरी तरह तैयार खड़ी है। उन्हें जो भी आदेश मिलेगा उसको फॉलो किया जाएगा। हालांकि भारत शांति में यकीन रखता है तो भारत की तरफ से कोई भी पहला एक्शन नहीं लिया जाएगा। वहीं बड़े अधिकारी अभी मामले पर बात कर रहे हैं। इसके बाद जो भी फैसला आएगा वैसी ही कार्रवाई की जाएगी।

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