जिनपिंग को सत्ता से हटाने का आरोप, कई अफसरों-मंत्रियों को कैद और मौत की सजा, स्वामी ने भी किया ट्वीट

राष्ट्रपति शी जिपिंग को सत्ता से बेदखल करने के प्रयास में कुछ चीनी अधिकारियों और पूर्व मंत्रियों को उम्र कैद और मौत की सजा सुनाई गई है। हालांकि, कुछ पूर्व मंत्रियों की मौत की सजा बदलते हुए उन्हें उम्र कैद में बदल दिया गया है। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 25, 2022 7:43 AM IST / Updated: Sep 25 2022, 01:21 PM IST

बीजिंग। चीन से चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है। यहां शी जिनपिंग सरकार के तख्तापलट किए जाने की आशंका के बीच कई चीनी अधिकारियों को शक के दायरे में लाते हुए इसका दोषी होने का आरोप लगाया गया है और उन्हें मौत की सजा दे दी गई है। दावा किया जा रहा है कि चीन के एक पूर्व वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के अधिकारों को चुनौती दी थी, जिसके बाद उस अधिकारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके अलावा दो पूर्व मंत्रियों को मौत की सजा सुनाई गई है। दरअसल, सन लिजुन चीन की सरकार में डिप्टी मिनिस्टर थे। दो साल पहले उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी, मगर अब कोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए उनकी मौत की सजा को उम्र कैद की सजा में बदल दिया है। हालांकि, उन्हें इसमें पेरोल नहीं मिलेगा और उन्हें जेल से बाहर नहीं आने दिया जाएगा। सन लिजुन पर जिनपिंग की सुरक्षा को खतरे में डालने का आरोप लगाया गया था। 

इसके अलावा, चीन के पूर्व न्याय मंत्री फू जेंगुआ को भी उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। जेंगुआ और लिजुन पर आरोप है कि उन्होंने शी जिनपिंग के तीसरी बार राष्ट्रपति बनने को चुनौती दी थी। इसके अलावा, उन्हें 2020 में कोरोना महामारी पर काबू पाने के लिए शुरुआती टीम में शामिल किया गया था, मगर इन्होंने अपने काम को ठीक तरीके से अंजाम दिए बिना पद छोड़ दिया था। इसके अलावा, उन पर पार्टी से गद्दारी करने का आरोप भी लगाया गया। 

 

 

वहीं, सुब्रमण्य स्वामी ने भी इस संबंध में ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने कहा, ऐसी अफवाह है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पद से हटा दिया गया है। उन्होंने पोस्ट में लिखा कि नई अफवाह की जांच की जानी चाहिए। क्या जिनपिंग को चीन की राजधानी बीजिंग में नजरबंद कर लिया गया है। यह सब तब हुआ जब चीनी राष्ट्रपति समरकंद में थे। उस समय चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने शी जिनपिंग को पार्टी के सेना प्रभारी पद से हटा दिया था। इसके बाद ही उन्हें हाउस अरेस्ट कर लिया गया। हालांकि, इस बात में कितनी सच्चाई है और यह कितनी अफवाह है, यह तो चीनी राष्ट्रपति और वहां की सरकार ही बेहतर बता सकती है। 

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