Cold War की ओर दुनिया: Jinping का America को चैलेंज, बोले- टकराव या विभाजन की बात न दोहरायी जाए

अमेरिका और चीन के बीच हर स्तर पर तनाव चल रहा है। चीन नई वैश्विक शक्ति बनने को आतुर है तो अमेरिका अपने एकाधिकार पर चोट नहीं चाहता है। दोनों देशों में व्यापार से लेकर सैन्य शक्ति तक के लिए तनाव चल रहा है।

Dheerendra Gopal | Published : Nov 11, 2021 9:30 AM IST / Updated: Nov 11 2021, 03:18 PM IST

बीजिंग। एक बार फिर दुनिया शीत युद्ध (Cold War) के दौर में वापस लौट रही है। हालांकि, इस बार खिलाड़ी बदल गए हैं। चीन ने अमेरिका (America) को कोल्ड वॉर जैसी स्थितियां फिर से पैदा न करने की धमकी दी है। चीन (China) के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने 21 देशों के ग्रुप एशिया-पैसिफिक इकोनॉमिक कोऑपरेशन (APEC) की वर्चुअल मीटिंग में खुलेआम चेतावनी दी है। जिनपिंग ने एक वीडियो जारी कर कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शीत युद्ध के दौरान हुआ टकराव और विभाजन फिर से नहीं होना चाहिए।

क्यों अमेरिका को धमका रहा चीन

चीन ताइवान (Taiwan) को लेकर किसी भी हस्तक्षेप से बौखलाया हुआ है। दरअसल, अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ताइवान का दौरान किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार डेलीगेशन ने ताइवान का दौरान एक अमेरिकी इंस्टीट्यूट के माध्यम से किया था। यह इंस्टीट्यूट ताइवान में ही है। सबसे अहम यह कि यह डेलीगेशन सेना के विमान से ताइवान पहुंचा था। 

अमेरिकी डेलीगेशन के ताइवान दौरे को चीन के विदेश मंत्रालय (China foreign Ministry) के प्रवक्ता वांग वेन बिन ने उकसाने वाला और जोखिम भरा बताते हुए कहा कि अमेरिका ने वन-चाइना पॉलिसी का उल्लंघन किया है। चीन ने धमकी देते हुए कहा कि वे (अमेरिका) आग से खेल रहे हैं और इसमें खुद ही जल जाएंगे। 

अमेरिका ने नहीं दी तवज्जो

उधर, अमेरिकी रक्षा विभाग ने चीन के बौखलाहट और धमकी की ओर ध्यान ही नहीं दिया है। अमेरिका ने इस विजिट को एक सामान्य विजिट बताया। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि अमेरिकी डेलीगेशन का दौरा ताइवान रिलेशंस एक्ट (Taiwan relations act) के तहत जिम्मेदारियों को ध्यान में रखकर किया गया है। जबकि ताइवान की प्रेसिडेंट साइ इंग-वेन ने इस दौरे को बेहद अहम और दो दोस्तों की सहमति वाला बताया है।

चीन ने सैन्य अभ्यास भी शुरू कर दिया

अमेरिका से चीन इस कदर खफा है कि वह ताइवान के पास सैन्य अभ्यास भी शुरू कर दिया है। हालांकि, उसने लोकेशन का खुलासा नहीं किया है। कुछ दिनों पहले ही चीन ने ताइवान के एयरजोन में दर्जनों बार अपने लड़ाकू विमानों को उड़ाया। चीन लगातार यह कहता आया है कि ताइवान उसका हिस्सा है और उसे अपनी ताकत से कब्जा भी कर सकता है। 

ताइवान को चीन की धमकी के बाद अमेरिका ने मदद की बात कही थी

उधर, अमेरिका ने भी ताइवान को हर संभव मदद की बात कही है। कुछ दिनों पहले ही अमेरिका ने साफ कहा कि वह ताइवान की संप्रभुता की रक्षा के लिए मदद करेगा। अमेरिका ने ताइवान को रक्षा क्षेत्र में मजबूत करने के लिए तमाम तरह के हथियारों का भी सौदा किया है। 

दरअसल, अमेरिका और चीन के बीच हर स्तर पर तनाव चल रहा है। चीन नई वैश्विक शक्ति बनने को आतुर है तो अमेरिका अपने एकाधिकार पर चोट नहीं चाहता है। दोनों देशों में व्यापार से लेकर सैन्य शक्ति तक के लिए तनाव चल रहा है। दोनों देशों के बीच साउथ चाइना सी, ताइवान और हिंद-प्रशांत में टकराव ज्यादा है। अमेरिका अपनी रणनीति के तहत चीन को आइना दिखाने के लिए ताइवान की हर संभव मदद की बात दोहरा रहा। 

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