चीन की सबसे बड़ी चाल: भूटान के शाही परिवार की प्रॉपर्टी पर कब्जा करके बना रहा टाउनशिप

सैटेलाइट की सुविधा न होती तो यह भी पता नहीं चल पाता कि आखिरकार चीन चाहता क्या है और कर क्या रहा है। जो ताजा तस्वीरें जारी की गई हैं, इससे साफ है कि चीन भूटान पर कब्जे की पूरी कोशिक कर रहा है।

 

Manoj Kumar | Published : Jan 7, 2024 1:06 AM IST / Updated: Jan 07 2024, 06:37 AM IST

China Bhutan Relation. पिछले कुछ समय से चीन की ऐसी स्थिति बन गई है कि वह जहां भी निवेश करता है, शक की नजरों से देखा जाता है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि चीन ने पड़ोसी भूटान को कब्जे में लेने की पूरी तैयारी कर ली है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा क्योंकि हाल ही में जो सैटेलाइट तस्वीरें शेयर की गई हैं, वह चीन की मंशा को क्लियर करती हैं। यह तस्वीरें ज्यादा नहीं बल्कि 1 महीने से भी कम पुरानी हैं। इनमें साफ देखा जा सकता है कि चीन ने सांस्कृतिक महत्व वाले बेयुल खेनपाजोंग के पास टाउनशिप का निर्माण शुरू कर दिया है।

चीन ने शुरू किया टाउनशिप का निर्माण

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मामला यह है कि चीन और भूटान के बीच बॉर्डर को लेकर बातचीत चल रही है लेकिन चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आने वाला है। हाल ही में जारी की गई सैटेलाइट तस्वीरें यह बताती हैं कि चीन ने गहरे सांस्कृतिक महत्व वाले बेयुल खेनपाजोंग पर कब्जा शुरू कर दिया है। यहां बहने वाली नदी के किनारे चीन टाउनशिप बिल्ड कर रहा है। इस टाउनशिप के बन जाने के बाद चीन पूर्वोत्तर भूटान पर पूरी तरह से काबिज हो जाएगा।

8 लाख की आबादी वाला है भूटान

भूटान की आबादी सिर्फ 8 लाख है। यह भारत की राजधानी दिल्ली का एक चौथाई भी नहीं है। चीन ने जिस तरह की प्लानिंग की है उसके अनुसार नार्थ, वेस्ट और साउथ-वेस्ट की सीमा पर चीनी टाउनशिप तैयार की जा रही है। इससे यह फर्क पड़ेगा कि भूटान में भी चीनी टाउनशिप बन जाएगी और चाइनीज लोग भूटान के साथ मिलकर स्टेट की नई सीमा तय करने की कोशिश करेंगे। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है चीन, हिमालयी एरिया में ज्यादा से ज्यादा कब्जा करना चाहता है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

एक विशेषज्ञ प्रोफेसर रॉबर्ट बार्नेट कहते हैं कि यह मामला चीन द्वारा एक ऐसे क्षेत्र के बारे में हालिया, संदिग्ध दावे का बताता है जो बहुत कम शक्तिशाली पड़ोसी के लिए बहुत सांस्कृतिक महत्व रखता है। यह जानते हुए कि पड़ोसी के पास प्रतिक्रिया के लिए बहुत कम विकल्प हैं। बीजिंग की निर्माण गतिविधि भूटान के साथ चल रही सीमा वार्ता के खिलाफ है। पास के जकारलुंग क्षेत्र में निर्माण की सीमा स्पष्ट रूप से इंगित करती है कि बीजिंग इन क्षेत्रों से किसी भी समय वापसी पर विचार करने के लिए सड़क का प्रयोग करेगा।

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