
Delhi Smog Solutions: दिल्ली की हवा हर साल बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगों के लिए चिंता का कारण बनती जा रही है। कभी दुनिया की "स्मॉग राजधानी" कहे जाने वाले बीजिंग ने कड़ी मेहनत और बड़े कदम उठाकर अपनी हवा की क्वालिटी में जबरदस्त सुधार किया है। अब चीन अपने अनुभव से दिल्ली को यह सिखा रहा है कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए क्या करना जरूरी है। X पर पोस्ट की गई एक सीरीज़ में, चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने बताया कि बीजिंग ने पिछले एक दशक में लगातार कदम उठाकर PM2.5 स्तर को 101.7 ug/m3 (2013) से घटाकर 30.9 ug/m3 (2024) तक लाया। उन्होंने कहा कि यह बदलाव अचानक नहीं हुआ, बल्कि ट्रांसपोर्ट और उद्योगों पर सख्त कार्रवाई के कारण संभव हुआ।
बीजिंग की सबसे पहली और अहम रणनीति वाहनों पर नियंत्रण थी। पुराने, ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले वाहन हटाए गए। सख्त नियम लागू किए गए जैसे यूरो 6/China 6NI स्टैंडर्ड। लाइसेंस-प्लेट लॉटरी और ऑड-ईवन जैसी पॉलिसी से सड़क पर कारों की संख्या नियंत्रित की गई। साथ ही, दुनिया के सबसे बड़े मेट्रो और बस नेटवर्क का निर्माण किया गया और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा दिया गया। बीजिंग-तियानजिन-हेबेई क्षेत्र में मिलकर प्रदूषण कम करने की योजना बनाई गई। यू जिंग कहती हैं, "साफ़ हवा रातों-रात नहीं मिलती, लेकिन यह मुमकिन है।"
दूसरा बड़ा कदम था इंडस्ट्रियल रीस्ट्रक्चरिंग। बीजिंग ने 3000 से ज़्यादा भारी उद्योगों को बंद या शिफ्ट किया। उदाहरण के लिए, शौगांग की बड़ी स्टील फैक्ट्री को शिफ्ट करने से पार्टिकुलेट मैटर में 20% तक कमी आई। खाली जगहों को अब पार्क, टेक हब और कमर्शियल ज़ोन में बदल दिया गया। इसके अलावा, थोक बाज़ार, लॉजिस्टिक्स हब और कुछ एजुकेशनल संस्थान दूसरी जगह शिफ्ट किए गए, जिससे राजधानी पर प्रदूषण का बोझ कम हुआ।
भारत के एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये आइडियाज तो सही हैं, लेकिन इन्हें लागू करना सबसे बड़ी चुनौती है। अनुमिता रॉय चौधरी, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, कहती हैं कि बीजिंग ने सिर्फ़ शहर में ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कार्रवाई की। बीजिंग ने घरों और इंडस्ट्री दोनों में कोयले का इस्तेमाल कम किया, कारों की संख्या सीमित की और पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया। दिल्ली के लिए भी यही सबक है कि केवल इमरजेंसी उपायों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।
दिल्ली अगर बीजिंग जैसी रणनीति अपनाए और लगातार, बड़े पैमाने पर कार्रवाई करे, तो स्मॉग कम करना मुमकिन है। समय रहते कदम उठाने से दिल्ली के लोग साफ़ और सांस लेने लायक हवा का अनुभव कर सकते हैं।
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