
वर्ल्ड न्यूज. पाकिस्तानी नोबेल पुरस्कार विजेता और शिक्षा अधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई(Pakistani Nobel Laureate and education rights activist Malala Yousafzai) ने शुक्रवार(21 अक्टूबर) को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर दुनिया से ईरान की महिलाओं के साथ खड़े होने का आग्रह किया है। वे पहले भी हिजाब के खिलाफ लड़ रहीं ईरानी महिलाओं के समर्थन मे बयान दे चुकी हैं। लेकिन मलाला ने इस मामले में अपना दोहरा चरित्र जाहिर कर दिया है। वे भारतीय मुस्लिम महिलाओं के साथ हिजाब के समर्थन में खड़ी दिखाई दी थीं। पढ़िए पूरा मामला...
"ज़ान! Zendigi! आज़ादी! महिला! जीवन! स्वतंत्रता!"
ईरान में लोगों की भीड़, विशेष रूप से महिलाएं हिजाब को लेकर सरकार की जबर्दस्ती के खिलाफ विरोधी प्रदर्शन कर रही हैं। हाल में ईरान के सख्त ड्रेस कोड का पालन नहीं करने के लिए गिरफ्तार किए जाने के बाद कथित यातना के चलते महासा अमिनी(Mahasa Amini) नाम की एक 22 वर्षीय महिला की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। हालांकि, ईरानी शासन ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि अमिनी की मृत्यु पहले से मौजूद मेडिकल कंडीशन के कारण हुई। अमिनी की मौत को लेकर मलाला ने शुक्रवार को इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट लिखकर ईरान की महिलाओं की बहादुरी से बदलाव लाने के लिए उनकी सराहना की। मलाला ने लिखा-"ईरानी लड़कियों और युवतियों के लिए जो स्वतंत्रता और सुरक्षा की मांग करने के लिए सड़कों पर हैं, आप पहले से ही अपने साहस से दुनिया को बदल रही हैं।"
मलाला ने बाकी दुनिया को भी एक संदेश भेजा और सभी से ईरानी महिलाओं की आवाज बनकर उनका समर्थन करने का आग्रह किया। "बाकी सभी को: कृपया ईरान की महिलाओं के लिए अपना समर्थन दिखाएं। इस आंदोलन को जीवित रखने के लिए उनकी कहानियों को शेयर करें। मलाला ने लिखा- "ज़ान! Zendigi! आज़ादी! महिला! जीवन! स्वतंत्रता!"
भारत में विवाद पर दिया था ये बयान
मलाला युसुफजई ने कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद पर तंज कसा था। उन्होंने आरोप लगाया था कि मुस्लिम छात्राओं को कर्नाटक में हिजाब पहनकर परिसरों और कक्षाओं में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। लड़कियों की शिक्षा की हिमायत करने वाली एक्टिविस्ट मलाला ने ट्वीट किया कि लड़कियों को उनके हिजाब में स्कूल जाने से मना करना भयावह है।
बता दें कि स्कूल-कॉलेजों मे हिजाब पर बैन (Karnataka hijab case) के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 13 अक्टूबर अपना फैसला सुनाने वाली थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। सुप्रीम कोर्ट के दोनों ही जजों की राय इस मामले पर अलग-अलग रही। इसके बाद मामले को बड़ी बेंच को सौंपने की सिफारिश कर दी गई। यानी अब सुनवाई तीन या इससे ज्यादा जजों की बेंच में होगी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस गुप्ता ने कहा कि मामला चीफ जस्टिस के पास भेज रहे हैं, ताकि वे बड़ी बेंच का गठन कर सकें। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने 10 दिनों तक सुनवाई के बाद 22 सितंबर को याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। क्लिक करके पढ़ें
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