जब अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को बचाने मोदी ने आधी रात को किया विदेशमंत्री को फोन, पूछा- जाग रहे हो?

विदेश मंत्री एस जयशंकर इन दिनों संयुक्त राष्ट्र महासभा यानी UNGA की बैठक में भाग लेने के लिए अमेरिका में हैं। इस दौरान एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से भारतीयों को निकाले जाने के ऑपरेशन देवी शक्ति से जुड़ीं कुछ यादें शेयर कीं।

Amitabh Budholiya | Published : Sep 23, 2022 6:01 AM IST / Updated: Sep 23 2022, 12:00 PM IST

न्यूयॉर्क. जयशंकर ने अमेरिका में एक कार्यक्रम के जरिये सारी दुनिया को जता दिया कि प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी देशवासियों के प्रति कितने संवेदनशील हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर(External Affairs Minister S Jaishanka) इन दिनों संयुक्त राष्ट्र महासभा(United Nations General Assembly) यानी UNGA की बैठक में भाग लेने के लिए अमेरिका में हैं। इस दौरान एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से भारतीयों को निकाले जाने के ऑपरेशन देवी शक्ति से जुड़ीं कुछ यादें शेयर कीं।

मोदी @20 : ड्रीम्स मीट डीलिवरी
न्यूयॉर्क में 'मोदी @20 : ड्रीम्स मीट डीलिवरी' किताब पर आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में चर्चा के दौरान जब ऑपरेशन देवी शक्ति का जिक्र आया, तो जयशंकर ने मोदी को लेकर गहरी बात की। बता दें कि इस ऑपरेशन के तहत अफगानिस्तान से भारतीयों की देश वापसी हुई थी। दरअसल, 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद बड़ी संख्या में वहां भारतीय भी फंस गए थे। बता दें कि मोदी@20: ड्रीम्स मीट डिलीवरी में देश की जानी-मानी हस्तियों ने मोदी के बारे में लिखा है। इसमें 21 चेप्टर हैं। प्रस्तावना दिवंगत सिंगर लता मंगेशकर ने लिखी थी। पहला चैप्टर 'मोदी निर्विवादित यूथ आइकॉन क्यों हैं' में बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने पीएम मोदी को लेकर अपने अनुभव शेयर किए हैं।

मोदी ने पूछा- जागे हो क्या?
जयशंकर ने बताया कि आधी रात अचानक प्रधानमंत्री मोदी का फोन आया। उनका सबसे पहला सवाल यही था कि जाग रहे हो क्या? तब मैंने बताया कि अफगानिस्तान में भारतीयों को पहुंचाई गई मदद रास्ते में हैं। यह सुनकर मोदी ने कहा कि जब मदद पहुंच जाए, तब मुझे फोन करना। जयशंकर ने कहा कि मोदी का यही गुण उन्हें बाकियों से अलग करता है। बता दें कि अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को वापस लेकर भारत की पहली स्पेशल फ्लाइट 10 दिसंबर को काबुल से नई दिल्ली पहुंची थी। इसे ही ऑपरेशन देवी शक्ति नाम दिया गया था। इसके तहत 650 से ज्यादा लोगों को लाया गया था। 

यह भी जानें
अमेरिका के न्यूयॉर्क में चल रहे UNGA के 77वें सत्र को संबोधित करने इस बार नरेंद्र मोदी नहीं गए हैं। उनकी जगह विदेश मंत्री जयशंकर को भेजा गया है। वे नरेंद्र मोदी के UN को दिए गए 5-S फॉर्मूला पर 24 सितंबर को विस्तार से बात चर्चा करेंगे। PM मोदी के मुताबिक, 5-S फॉर्मूला के एलिमेंट - सम्मान (Respect), सम्वाद (Dialogue), सहयोग (Cooperation), शांति (Peace) और समृद्धि (Prosperity) हैं।

भारत ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करना और बातचीत पर वापस लौटना समय की जरूरत है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 15 देशों के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ब्रीफिंग में कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए गंभीर चिंता का विषय है। भविष्य का दृष्टिकोण और भी परेशान करने वाला प्रतीत होता है। जयशंकर ने परिषद को बताया कि एक वैश्वीकृत दुनिया में संघर्ष का प्रभाव दूर के क्षेत्रों में भी महसूस किया जा रहा है। हम सभी ने बढ़ती लागत और खाद्यान्न, उर्वरक और ईंधन की वास्तविक कमी के संदर्भ में इसके परिणामों का अनुभव किया है। भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है और इस पर जोर दिया है कि  कूटनीति और बातचीत के माध्यम से संकट का समाधान किया जाना चाहिए। जयशंकर ने बुधवार को यहां संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में यूक्रेन के प्रधानमंत्री डेनिस श्यामल से मुलाकात की और उन्हें भारत की सैद्धांतिक स्थिति से अवगत कराया, जो सभी शत्रुता को समाप्त करने और बातचीत और कूटनीति पर लौटने पर जोर देती है। 

आतंकवाद के मुद़्दे पर भारत ने कड़ी आपत्ति ली: भारत ने गुरुवार को कहा कि यह खेदजनक है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जब दुनिया के कुछ सबसे खूंखार आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने की बात आती है, तो उन्हें दण्ड से मुक्ति दिलाई जा रही है और जवाबदेही से बचने के लिए राजनीति की जा रही है। भारत ने चीन पर कटाक्ष किया,  जिसने कई मौकों पर पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को ब्लैकलिस्ट करने से रोक दिया है।

UNGA के बारे में: जनरल असेंबली यूनाइटेड नेशंस के 6 मुख्य अंगों में से एक है। सभी 193 सदस्य बराबर अधिकारों और जिम्मेदारी के साथ इसका हिस्सा हैं। UN के बजट, सिक्योरिटी काउंसिल की सदस्यता, अस्थायी सदस्यों की नियुक्ति जैसे सभी काम जनरल असेंबली के जिम्मे आते हैं।

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