जिंदा नवजात को डॉक्टर ने आलस की वजह से मृत घोषित कर फ्रीजर में डाला, फोन से खुला मौत का राज

कजाखस्तान के एक अस्पताल से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां जन्म के वक्त एक बच्चे में कोई हरकत दर्ज नहीं की गई, लेकिन इत्तेफाक से थोड़ी देर बाद ही बच्चे ने हिलना-डुलना शुरू कर दिया। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 5, 2019 12:18 PM IST / Updated: Oct 05 2019, 06:14 PM IST

मास्को. कजाखस्तान के एक अस्पताल से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां जन्म के वक्त एक बच्चे में कोई हरकत दर्ज नहीं की गई, लेकिन इत्तेफाक से थोड़ी देर बाद ही बच्चे ने हिलना-डुलना शुरू कर दिया। लेकिन बेबी के 'स्टिल बार्न' होने की लिखा-पढ़ी पहले ही कर ली गई थी, जिसके चलते अस्पताल प्रबंधन ने बच्चे को मृत घोषित कर उसे मुर्दाघर के फ्रीजर में रख दिया। इस बड़ी गड़बड़ी के बाद अस्पताल के दो सीनियर डॉक्टरों के खिलाफ पुलिस नें मर्डर का केस दर्ज कर लिया है।  

सीनियर डॉक्टर ने दिया था फ्रीजर में रखने का आदेश
इस पूरे मामले पर अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए प्रोसिक्यूटर ने कहा कि सीनियर डॉक्टर कुयंश निसानबावे ने ही बच्चे को मुर्दाघर के फ्रीजर में रखने के आदेश दिए थे, जबकि उन्हें पता था कि बच्चे ने अपने पैर हिलाए थे और उसकी जान बचाना संभव था। इस मामले में डॉक्टर कुयंश निसानबावे के साथ अस्पताल की एक अन्य डॉक्टर के खिलाफ पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया है, जिन्हे अदालत से 20 साल तक की जेल हो सकती है।

डॉक्टर के फोन से खुला राज
नवजात मासूम के साथ अस्पताल की यह घोर लापरवाही एक रिश्वतखोरी मामले की जांच के दौरान सामने आई है। दरअसल रिश्वतखोरी मामले की जांच कर रहे जासूस ने डॉक्टर कुयंश निसानबावे का फोन टेप कराया था, हांलाकि इस जांच का बच्चे की मौत से कोई ताल्लुक नहीं था।

लापरवाही ने ली बच्चे की जान
स्थानीय भ्रष्टाचार विरोधी पुलिस के मुखिया श्येनगीस कबूला ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से जीवित बच्चे को जन्म के तुरंत बाद ही मृत रजिस्टर कर लिया गया था। बच्चे के द्वारा जीवित होने के संकेत दिए जाने के बावजूद भी डॉक्टर्स ने जरूरी ईलाज नहीं किया और पहले ही हो चुकी कागजी कार्रवाई के अनुसार बच्चे को मौत के मुंह में छोड़ दिया। जासूस को मिली जानकारी के अनुसार डॉक्टर ने बच्चे की मौत फ्रीजर में होने के संबंध में किसी से बात की थी। निसानबावे के ऊपर विदेश में छुट्टीयां मनाने के लिए रिश्वत लेने के आरोप भी हैं।

अस्पताल का कम्प्यूटर रिकॉर्ड नहीं बदलना चाहते थे
जानकारी के अनुसार डॉक्टर कुयंश निसानबावे और अस्पताल स्टाफ ने मिलकर यह तय किया था कि अस्पताल के कंप्यूटर रिकॉर्ड में बच्चे को पहले ही मृत बताया जा चुका है और उसे बदलना नहीं चाहिए। वहीं इस पूरे मामले पर क्षेत्रीय स्वास्थ्य प्रमुख माणसुक ऐमुरिज़ेवा ने कहा कि 'डॉक्टरों के खिलाफ ऐसा आरोप हैरान करने वाला है। उप स्वास्थ्य मंत्री लयाजत अकातेवा ने बच्चे के परिवार और मां से माफी मांगी है। 

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