हाल ही में रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच बातचीत हुई। मिडिल ईस्ट में इजराइल-हमास युद्ध ने रूसी राष्ट्पति को मौका दे दिया है कि वे यूक्रेन के खिलाफ जंग में ज्यादा पैसा झोंक सकें।
Israel Hamas War Putin. इस वक्त दुनिया में दो युद्ध चल रहे हैं। पहला रूस और यूक्रेन के बीच और दूसरा ताजा युद्ध इजराइल और फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के बीच छिड़ गया है। मिडिल ईस्ट के इस ताजा युद्ध की वजह से रूस को कुछ फायदा होता दिख रहा है क्योंकि ब्लादिमीर पुतिन को मौका मिल गया है कि वे यूक्रेन के खिलाफ जंग में और ज्यादा पैसा झोंक सकें। आखिर यह कैसे संभव हुआ?
रूसी प्रेसीडेंट ने की इजराइल पीएम से बात
बीते 7 अक्टूबर को हमास के घातक हमले के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ बातचीत शुरू की। इस चर्चा में पुतिन ने नेतन्याहू को क्षेत्रीय नेताओं और फिलिस्तीनी प्राधिकरण के साथ उनकी हालिया बातचीत के बारे में भी जानकारी दी। इस कॉल के दौरान पुतिन ने दुश्मनी खत्म करने और हालात को सामान्य बनाने पर जोर दिया। देर से ही सही लेकिन इस बातचीत के बाद एक्सपर्ट्स ने अपनी राय व्यक्त की। कुछ लोगों ने कहा कि बेंजामिन नेतन्याहू ने हाल ही में रूस का दौरा किया था। लेकिन हमास हमले के 9 दिन बाद रूसी राष्ट्रपति का फोन करना अलग ही मैसेज दे रहा है। लोगों को यह आश्चर्य हुआ कि रूस को फोन करने में 9 दिन क्यों लग गए।
रूस और ईरान के संबंध भी हो रहे बेहतर
एक्सपर्ट्स का मानना है कि ईरान के साथ रूस के बढ़ते संबंधों को लेकर इजराइल असहज हो रहा है। इसका कारण यह है कि इजराइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष से संभावित रूप से रूस और ईरान दोनों को फायदा हो सकता है। द इकोनॉमिस्ट ने सुझाव दिया कि युद्ध से तेल और गैस की कीमतें बढ़ सकती हैं। इससे दोनों देशों की संघर्षरत अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा मिलेगा। पुतिन को यूक्रेन में चल रही गतिविधियों के लिए अतिरिक्त संसाधनों की आपूर्ति हो सकेगी। दूसरा फायदा यह है कि अमेरिका की मिडिल ईस्ट प्लानिंग में दिक्कतें पैदा होंगी।
युद्ध में ईरान-रूस को होगा फायदा
अगर इजराइल और हमास के बीच यह युद्ध जारी रहता है तो रूस और ईरान दोनों को दो लाभ होंगे। पहला यह कि तेल और गैस की कीमतों में वृद्धि होगी। इससे दोनों बीमार अर्थव्यवस्थाओं को मदद मिलेगी। दूसरा यहा कि पुतिन को यूक्रेन में अपने युद्ध के लिए अतिरिक्त धन मिल सकेगा। इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि मिडिल ईस्ट का यह वार कई तरीके से रूस, ईरान के लिए फायदेमंद और अमेरिका के लिए नुकसानदायक है। इसी मुद्दे पर रैंड कॉर्पोरेशन के प्लानिंग रिसर्चर ने बताया कि तेल की बढ़ती कीमतें सीधे रूस को फायदा देंगी। रूस अपने हथियारों का उत्पादन बढ़ाएगा और अपने घाटे के बजट को संभाल पाएगा।
क्या कहती है ब्लूमबर्ग की हालिया रिपोर्ट
एक्सपर्ट ने ब्लूमबर्ग को बताया कि जैसे-जैसे तेल की कीमतें बढ़ेंगी, इससे रूस के हथियार उत्पादन पर खर्च कम होगा। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी कहा कि यदि संयुक्त राज्य अमेरिका अपना ध्यान इजराइल संघर्ष पर केंद्रित कर दे और यूक्रेन को अपने हथियारों की आपूर्ति कम कर दे तो यूक्रेन में राष्ट्रपति पुतिन के लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है। ब्लूमबर्ग से बात करने वाले गोपनीय सूत्रों के अनुसार रूस को वास्तव में इजराइल-हमास युद्ध से लाभ हो सकता है। इस संघर्ष में संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप का ध्यान यूक्रेन संकट से भटकाने की पूरी क्षमता है। यदि हिजबुल्लाह भी इजराइल-हमास युद्ध में शामिल हो जाता है तो इससे स्थिति काफी जटिल हो जाएगी। इससे युद्ध में सीधे तौर पर अमेरिका की भागीदारी हो जाएगी। जिसके बाद हालात कुछ भी बन सकते हैं।
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