
नई दिल्ली. पाकिस्तान अब अमेरिका से बेहतर संबंध चाहता है। अमेरिका की तरफ पाकिस्तान के झुकाव से चीन का झटका लग सकता है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शनिवार को कहा कि पाकिस्तान वॉशिंगटन के साथ सभ्य और बराबरी का रिश्ता चाहता है जैसा कि अमेरिका के ब्रिटेन या भारत के साथ हैं। इमरान खान ने अमेरिकी अखबार ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ को दिए इंटरव्यू में यह बातें कही हैं।
भारत के साथ रिश्तों में नहीं मिली प्रगति
उन्होंने कहा- भारत के साथ रिश्तों को सामान्य करने के उनके प्रयासों पर कोई प्रगति नहीं हुई। 2018 में पीएम का पद संभालते ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संपर्क किया था। पाकिस्तान के ‘दी डान’ अखबार के अनुसार, यह इंटरव्यू ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अशरफ गनी के साथ व्हाइट हाउस में आमने-सामने की पहली मुलाकात की। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के भारत जैसे अन्य देशों के मुकाबले उसका अमेरिका के साथ करीबी रिश्ता रहा है और आतंकवाद के खिलाफ जंग में वह अमेरिका का पार्टनर था।
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उन्होंने कहा- पाकिस्तान मूल रूप से एक सभ्य रिश्ता चाहता है। हम अमेरिका के साथ अपने कारोबारी रिश्तों में सुधार करना चाहेंगे। अमेरिका और ब्रिटेन की बीच है या जैसा अब अमेरिका और भारत के बीच है। इसलिये, ऐसा रिश्ता जो बराबरी वाला हो।
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के दौरान संबंध थोड़े असंतुलित थे। उन्होंने कहा कि यह असंतुलित रिश्ता था क्योंकि अमेरिका को लगता था कि वो पाकिस्तान को सहायता दे रहा है। आंतकवाद में पाकिस्तान को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। उन्होंने कहा कि 70 हजार पाकिस्तानी मारे गए और 150 अरब डॉलर से ज्यादा का अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है।
भारत से रिश्ते बेहतर होते
इंटरव्यू में ये भी दावा किया जा रहा है भारत में अगर कोई दूसरी सरकार होती को पाकिस्तान के उनके साथ रिश्ते बेहतर होते और वे बातचीत के जरिये अपने सभी मतभेदों को सुलझाते। मैंने जब से पद संभाला मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने एक सामान्य, सभ्य कारोबारी रिश्ते (बनाने) का विजन रखा लेकिन बात नहीं बनी। भारत द्वारा अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले के बाद से चीजें बिगड़ी है। भारत पाकिस्तान को बता चुका है कि वह पड़ोसी से सामान्य रिश्ते चाहता है जो आतंकवाद, दुश्मनी और हिंसा से मुक्त हो। खान ने कहा कि अमेरिका की यह धारणा गलत थी कि चीन के खिलाफ भारत सुरक्षा कवच होगा।
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