अमेरिकी संसद में चीन को लेकर दो दिवसीय मीटिंग हो रही थी। इसमें अमेरिकी रक्षा मंत्रालय और उसके सिक्योरिट व अन्य सर्विसेस के महत्वपूर्ण अधिकारी मौजूद रहे।
India-America Friendship: भारत-अमेरिका रक्षा क्षेत्र में मिलकर काम कर रहे हैं। दोनों देशों के साइंटिस्ट मिलकर एक लंबी दूरी तक वार करने वाले हथियार पर काम कर रहे हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के टॉप रैंक अधिकारी एली रैटनर ने बताया कि इस हथियार से भारत अपनी सीमाओं को और सुरक्षित कर सकेगा। एलएसी तैनाती के लिए इस हथियार को बनाया जा रहा है। दरअसल, अमेरिकी संसद में चीन को लेकर दो दिवसीय मीटिंग हो रही थी। इसमें अमेरिकी रक्षा मंत्रालय और उसके सिक्योरिट व अन्य सर्विसेस के महत्वपूर्ण अधिकारी मौजूद रहे। इंडो-पैसिफिक सिक्योरिटी अफेयर्स के असिस्टेंट सेक्रेटरी एली रैटनर ने बताया कि अमेरिका अपने मित्र देशों की मदद के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
अमेरिकी संसद में बताया-बिडेन एडमिनिस्ट्रेशन कर रहा अपने दोस्तों की मदद
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय में इंडो-पैसिफिक अफेसर्य के टॉप रैंक अधिकारी रैटनर ने बताया कि बिडेन एडमिनिस्ट्रेशन, इंडो-पैसिफिक में अपने दोस्तों की मदद के लिए हमेशा आगे रह रहा। अमेरिका न सिर्फ भारत बल्कि जापान और ऑस्ट्रेलिया की मदद कर रहा है ताकि वह अपने दुश्मनों पर हमला करने की क्षमता को बढ़ा सकें। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान लंबी दूरी तक वार करने वाली तोपों और बख्तरबंद गाड़ियों को बनाने का मसौदा तैयार किया गया था। पीएम मोदी के अमेरिका दौरे पर ही जेट इंजन बनाने की डील फाइनल हुई थी। रैटनर ने अमेरिकी संसद में बताया कि हम भारत के साथ लंबी दूरी की तोप और बख्तरबंद गाड़ियां बनाने के प्रपोजल पर भी काम कर रहे हैं। यह हथियार इंडो-चीन बार्डर पर भारत की स्थिति को मजबूत करने में सहायक हो सकता है।
ASEAN सम्मेलन में चीन ने की भारत से बातचीत की पहल
चीनी डिप्लोमेट ने भारत-चीन के बीच रिश्तों को बेहतर करने की पहल करते हुए नए सिरे से संबंधों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया। चीनी डिप्लोमेट वांग यी ने विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात करते हुए कहा कि दोनों देशों को एक दूसरे पर शक करने की बजाय एक दूसरे का समर्थन करना चाहिए। बातचीत से ही आगे का रास्ता तय हो सकता है। इस मुलाकात के दौरान एलएसी विवाद का मुद्दा भी उठा। जयशंकर ने इस अनसुलझे मुद्दे को सुलझाने की बात कही तो वांग यी ने भी सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि सीमा विवाद को सुलझाने के लिए ऐसे समाधान की जरूरत है जिसे दोनों देश मंजूर कर सकें। उन्होंने कहा कि कुछ मुद्दों से भारत-चीन के रिश्ते को परिभाषित नहीं किया जा सकता है। पढ़ें पूरी खबर…