भारत-तालिबान की दोहा में मीटिंगः Afghanistan में भारतीयों की सुरक्षा और वापसी पर हुई बातचीत

भारत ने पहली बार दोनों पक्षों के बीच हुई बैठक को सार्वजनिक किया है। इससे पहले मंत्रालय ने कहा था कि भारत अफगानिस्तान में सभी हितधारकों के साथ बातचीत कर रहा है।

Asianet News Hindi | Published : Aug 31, 2021 1:05 PM IST

दोहा। भारत और तालिबान की औपचारिक वार्ता मंगलवार को दोहा में हुई। कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल और दोहा में तालिबान राजनीतिक आफिस के प्रमुख में कई मुद्दां पर चर्चा की गई। 

दरअसल, अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद वहां की आंतरिक स्थितियां काफी खराब हो चुकी हैं। सबसे अधिक अत्याचार महिलाओं और अल्पसंख्यकों को सहना पड़ रहा है। अफगानिस्तान में रह रहे विदेशी मूल के लोग भाग रहे हैं। काबुल एयरपोर्ट पर देश छोड़ने वालों की भारी भीड़ है। हजारों की संख्या में अफगानी सिख, हिंदू देश छोड़ने को मजबूर हैं। डेढ़ हजार से अधिक भारतीय भी वहां फंसे हुए थे जिनको निकालने की प्रक्रिया जारी है। 

भारत और तालिबान के बीच दोहा में हुई वार्ता

मंगलवार को कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल और तालिबान राजनीतिक आफिस दोहा के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्टेन्कजई की मीटिंग हुई। मीटिंग का एजेंडा भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और जल्द से जल्द देश वापसी मुख्य रहा। भारत की ओर से यह भी कहा गया कि जो भी अफगानी अल्पसंख्यक भारत आना चाहते हैं उनको भी सुरक्षित तरीके से आने दिया जाए। राजदूत दीपक मित्तल ने यह भी मामला उठाया कि अफगानिस्तान की जमीन को एंटी-इंडिया एक्टिविटी या आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए नहीं उपयोग किया जाना चाहिए। 

तालिबान के प्रतिनिधि ने विचार करने का दिया आश्वासन

तालिबान के प्रतिनिधि शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई ने भारत के सभी मुद्दों पर सकारात्मक ढंग से विचार किया जाएगा। 

पहली बार भारत ने बातचीत को स्वीकार किया

भारत ने पहली बार दोनों पक्षों के बीच हुई बैठक को सार्वजनिक किया है। इससे पहले मंत्रालय ने कहा था कि भारत अफगानिस्तान में सभी हितधारकों के साथ बातचीत कर रहा है।

तय तारीख से एक दिन पहले ही अमेरिका ने अफगानिस्तान छोड़ा

30 अगस्त को, अमेरिका ने औपचारिक रूप से अपनी सेनाओं की अंतिम खेप को भी वहां से निकाल लिया। इसके बाद तालिबान का अफगानिस्तान पर पूर्णरूप से नियंत्रण हो गया। तालिबान ने युद्ध से तबाह देश की राजधानी काबुल पर 15 अगस्त को कब्जा कर लिया था जब तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए थे।

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