भारत और चीन के बीच जारी एलएसी विवाद पर अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने भारत का पक्ष लिया है। उन्होंने कहा कि चीन के सैनिक भारतीय लद्दाख और सिक्किम बॉर्डर के पास घूम रहे हैं।
वॉशिंगटन। भारत और चीन के बीच जारी एलएसी विवाद पर अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने भारत का पक्ष लिया है। उन्होंने सोमवार को कहा कि चीन का सभी देशों के साथ यही रवैया रहा है। माइक ने कहा कि हमने भी भारतीय सीमा के पास चीनी सैनिकों और हथियारों को नोटिस किया है। चीन के सैनिक भारतीय लद्दाख और सिक्किम बॉर्डर के पास घूम रहे हैं, जिससे दोनों देशों में तनाव बढ़ रहा है। चीन लगातार अपने रवैये से बाज नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कि चीन ने अभी कोरोना वायरस पर भी स्थिति पर साफ नहीं की है, जो वुहान से फैला है। वहीं हॉंगकॉंग के लोगों की स्वतंत्रा भी चीन के द्वारा छीनी जा रही है। ये बस दो तरह की बातें हैं, जिनसे कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की मंसा साफ देखी जा सकती है। पॉम्पियो ने चीन पर साउथ चाइना सी बॉर्डर पर इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी चुराने की कोशिश का भी आरोप लगाया।
चीनी सरकार पर लगाया आरोप
माइक ने कहा, कि चीनी सरकार इस तरह के फैसले लेती है, जिसकी वजह से तनाव बढ़ता है और इसका असर पूरी दुनिया के लोगों पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि चीन लगातार कुछ सालों से भारतीय सीमा, हॉंगकॉग और साउथ चाइना सी को लेकर ऐसा ही व्यवहार कर रहा है। हम कुछ सालों से देख रहे हैं कि चीन सीमाओं के पास अपने सैनिक और हथियार जमा कर रहा है। वह सीमा के पास नए पोर्ट या नया कंस्ट्रक्शन बनाने के नाम पर हमें गुमराह कर रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले 20 सालों से अमेरिका इस तरह की हरकतों को नजरअंदाज कर रहा है। चीन से हमारे व्यापारिक संबंध हैं इस वजह से हमने उनके साथ वैसा वर्ताव नहीं किया जैसा किसी और देश के साथ इस तरह की हरकत करने पर करते हैं।
क्या है विवाद?
चीन ने लद्दाख के गलवान नदी क्षेत्र पर अपना कब्जा बनाए रखा है। यह क्षेत्र 1962 के युद्ध का भी प्रमुख कारण था। जमीनी स्तर की कई दौर की वार्ता विफल हो चुकी है। सेना को स्टैंडिंग ऑर्डर्स का पालन करने को कहा गया है। इसका मतलब है कि सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)से घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए बल का इस्तेमाल नहीं कर सकती है। बता दें कि भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। ये सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुज़रती है। ये तीन सेक्टरों में बंटी हुई है। पश्चिमी सेक्टर यानी जम्मू-कश्मीर, मिडिल सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड और पूर्वी सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश।
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