
Pakistan US Port Deal India Impact: पाकिस्तान ने अमेरिका को अरब सागर में बंदरगाह बनाने और चलाने का प्रस्ताव दिया है। यह कदम पाकिस्तान द्वारा अमेरिका के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश का हिस्सा माना जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह पोर्ट पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में ग्वादर के पास पसनी शहर में बनाया जाएगा, जो रणनीतिक दृष्टि से अहम है। इस प्रस्ताव की कीमत लगभग 1.2 बिलियन डॉलर बताई जा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर (Asim Munir) के सलाहकारों ने अमेरिकी अधिकारियों से इस ऑफर पर चर्चा की। इस पोर्ट के जरिए अमेरिका को पाकिस्तान के महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों तक आसान पहुंच मिल सकती है। हालांकि, यह साफ किया गया है कि पोर्ट का इस्तेमाल अमेरिकी सैन्य बेस के लिए नहीं होगा।
स्ट्रैटेजिक लोकेशन: पसनी पोर्ट की जगह अमेरिका को अरब सागर और मध्य एशिया में व्यापार और रणनीतिक बढ़त देगा।
खनिज संसाधनों तक पहुंच: पाकिस्तान के पश्चिमी प्रांतों में खनिज संपदा को एक्सप्लोर और एक्सपोर्ट करने में आसानी।
बढ़ता प्रभाव क्षेत्र: ग्वादर (Gwadar) के पास नया पोर्ट अमेरिका के लिए चीन की गतिविधियों के पास रणनीतिक बैलेंस बनाने में मदद करेगा।
ट्रेड नेटवर्क: पाकिस्तान ने अमेरिकी निवेश से रेल नेटवर्क भी जोड़ने का प्रस्ताव रखा है, जिससे पोर्ट से खनिज और अन्य संसाधनों का परिवहन आसान होगा।
भारत इस प्रस्ताव और विकास पर कड़ी नजर रख रहा है। वजह है कि पसनी पोर्ट, ईरान के चाबहार पोर्ट (Chabahar Port) के बेहद नजदीक है, जिसे भारत ने 10 साल के लिए विकसित और संचालित करने का समझौता किया है। चाबहार पोर्ट के जरिए भारत, पाकिस्तान को बायपास कर अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंच सकता है। व्यापार और रणनीतिक नियंत्रण को मजबूत बना सकता है। अगर पसनी पोर्ट अमेरिका के साथ सक्रिय रूप से विकसित होता है, तो यह भारत के चाबहार प्रोजेक्ट के लिए भू-राजनीतिक और आर्थिक चुनौती पेश कर सकता है।
पाकिस्तान ने यह कदम ट्रंप प्रशासन को आकर्षित करने और चीन के प्रभुत्व वाले ग्वादर पोर्ट के पास अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए उठाया है। इसके अलावा, अमेरिका को आकर्षित करने के लिए पाकिस्तान ने अपनी तेल, गैस और खनिज संपदा भी पेश की। साथ ही, पाकिस्तान ने यह साफ किया कि पोर्ट का इस्तेमाल सैन्य उद्देश्य के लिए नहीं होगा, लेकिन इससे अमेरिका का प्रभाव क्षेत्र बढ़ सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम पाकिस्तान की भू-राजनीतिक चाल का हिस्सा है। जबकि अमेरिका को रणनीतिक और आर्थिक लाभ होगा, भारत को अपने चाबहार पोर्ट के संचालन और मध्य एशिया के ट्रेड रूट यानी व्यापार मार्ग पर होने वाले असर पर ध्यान देना होगा।
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