अमेरिकी नागरिकता पाने वालों में भारतीयों का दबदबा, जानें क्यों है मचती है इस देश में जाने की होड़

Published : Jul 03, 2022, 06:00 PM IST
अमेरिकी नागरिकता पाने वालों में भारतीयों का दबदबा, जानें क्यों है मचती है इस देश में जाने की होड़

सार

भारतीयों द्वारा अमेरिकी नागरिकता पाने में नया रिकार्ड बना है। इस समय अमेरिकी नागरिकता पाने वाले देशों की सूची में दूसरे नंबर पर है।   

नई दिल्ली. अमेरिकी नागरिकता पाने वाले देशों की सूची में भारत दो नंबर पर पहुंच गया है। अमेरिका में वित्त वर्ष 2022 में नागरिकता पाने वालों में भारतीय सेकेंड पोजीशन पर हैं। जबकि वित्त वर्ष 2021 की बात करें तो अमेरिका में 2021 में करीब साढ़े 8 लाख नये अमेरिकी पहुंचे। जबकि मौजूदा वित्त वर्ष में पिछले महीने तक 6 लाख 61 हजार से ज्यादा लोगों ने अमेरिकी नागरिकता पाई, जिसमें भारतीयों का दबदबा बना हुआ है। 

अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा से जुड़े अधिकारी की मानें तो अमेरिका में स्वतंत्रता का अधिकार, खुश रहने का फ्रीडम मिलता है जिसकी वजह से लाखों लोग हर साल अमेरिकी नागरिकता पाने के लिए आवेदन करते हैं। हालांकि फिलहाल अमेरिकी नागरिकता पाने वाले देशों में मैक्सिको सबसे उपर है। फिर भारत का नंबर है। इसके बाद फिलीपींस, क्यूबा और डोमेनिक रिपब्लिक का नाम आता है। 

लगातार बढ़ती रही चाहत
अमेरिका में बसने की चाहत पर सर्वे करने वाली कंपनी ने भी यह दावा किया था कि अमेरिका में बसने की चाह रखने वालों में भारतीय सबसे उपर हैं। रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि 2005 से 2015 तक भारत से अमेरिका की नागरिकता लेने वाले पात्र लोगों की संख्या में 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसमें भारतीय की संख्या करीब 80 प्रतिशत है।

अमेरिकी नागरिकता के लिए क्या जरूरी
अमेरिकी नागरिकता हासिल करने के लिए प्रवासी की उम्र कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए। इसके साथ ही ही वैध स्थायी निवासी के तौर पर वह देश में कम से कम 5 वर्ष रह चुका हो। या अमेरिकी नागरिक से उसके विवाह को 3 वर्ष बीत चुके हों। इसके अलावा जरूरी व वैध कागजात के बाद अमेरिका नागरिकता प्राप्त की जा सकती है। 

अमेरिकी ने बदली ईबी-5 नीति
अमेरिका ने ईबी-5 कार्यक्रम के निवेश दिशानिर्देश में बदलाव किया है। अमेरिका ने अप्रवासी निवेशक कार्यक्रम के लिए लक्षित रोजगार क्षेत्र में न्यूनतम निवेश राशि 500,000 डालर से बढ़ाकर 900,000 डालर और गैर-टीईए में 10 लाख डालर से बढ़ाकर 18 लाख डालर कर दिया है। अमेरिका ने यह कदम पिछले वर्ष ही उठाया था।

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