
अबू धाबी. यूएई के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यं ने भारत के प्रधानमंत्री मोदी को देश के सर्वोच्च सम्मान ऑर्डर ऑफ जायद से सम्मानित किया। यह अवार्ड राष्ट्रपति, राजाओं और किसी भी देश के प्रमुख को दिया जाता है। पीएम मोदी को ये अवार्ड दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता और दुनिया के सबसे प्रभावित नेता के तौर पर दिया गया। उनके सफाई अभियान, शांति के प्रयासों, दुनिया के देशों के साथ संबंध के अलावा भ्रष्टाचार के मामलों पर कड़े रुख के चलते दिया। अवॉर्ड की घोषणा इस साल अप्रैल में हुई थी। इसका मकसद दोनों देश (भारत और दुबई) के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती देना। यह सम्मान दुबई के संस्थापक शेख जायद बिन सुल्तान अल नाह्यां के नाम पर रखा गया है।
कौन थे शेख जायद बिन सुल्तान
2 दिसंबर 1971 को बने यूएई राष्ट्र संघ के शेख जायद बिन सुल्तान अल नाह्मं राष्ट्रपति और संस्थापक थे। उन्होंने अपने देश को दुनिया का सबसे बेहतर मुल्क बनाने में अहम योगदान दिया। उनका जन्म 1918 में हुआ था। वह चार भाई बहन में सबसे छोटे थे। उनके पिता शेख सुल्तान बिन जायद अल नाह्मं सन 1922 से 1926 तक आबू धावी के शासक रहे। शेख जायद बिन सुल्तान अल नाह्मं के जन्म के समय अरब बहुत गरीब देश था। उस देश की आर्थिक स्थिती मछली पालन और मोती बिनने और थोड़ी कृषि पर आधारित थी। 1930 में जब तेल कंपनियों ने अरब आकर खुदाई शुरू की तो उन्होंने तभी सोच लिया था कि यूएई को एक बेहतर मुल्क बनाएंगे। उनकी पढ़ाई लिखाई सामान्य तौर पर अन्य बच्चों की तरह ही हुई।
उस समय अरब में नाव और ऊंट ही आने जाने के साधन थे। 1962 में अबूधावी से पहली क्रूड ऑयल की खेप गई। 6 अगस्त 1966 को बड़े भाई शेख जायद की जगह शासक बने। शासक की गद्दी संभालते ही उन्होंने तेल उत्पादन पर ज्यादा जोर दिया। इस दौरान उन्होंने पूरे यूएई में स्कूल, बिल्डिंग, घर, हॉस्पिटल और रोड का निर्माण कराया। 1946 में देश के शासक के तौर पर चुन लिया गया। इसके बाद उन्होंने ठान लिया था कि यूएई को दुनिया की सबसे खूबसूरत जगह बनाएंगे। शेख जायद का देहांत साल 2004 में हो गया था। वे 80 साल के थे। उन्हें राष्ट्रपिता का दर्जा प्राप्त है।
फरवरी 2018 में गए थे मोदी
पीएम मोदी यूएई फरवरी 2018 में गए थे। उस समय वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट के मुख्य अतिथि थे। वहीं यूएई के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यं साल 2016 में भारत दौरे पर आए थे, और 2017 में गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि थे।
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