विश्व शांति के लिए मैक्सिको के राष्ट्रपति UN में रखेंगे प्रस्ताव, जंग रोकने के लिए मोदी का रोल मानते हैं खास

मैक्सिको के राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पोप फ्रांसिस और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को शामिल कर एक आयोग बनाने की मांग संबंधी प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में पेश करने की घोषणा की है। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 10, 2022 12:40 PM IST

मैक्सिको सिटी। मैक्सिको के राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर ने विश्व में शांति के लिए एक प्रस्ताव  संयुक्त राष्ट्र में पेश करने की घोषणा की है। उन्होंने दुनिया में जंग रोकने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोल को अहम माना है। 

ओब्रेडोर ने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र में एक लिखित प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगे। इसमें तीन लोगों का एक आयोग बनाने की मांग होगी। यह आयोग दुनिया में अगले पांच साल के लिए संघर्ष विराम को बढ़ावा देगा। इस दौरान न कोई युद्ध होगा और न व्यापार युद्ध। ओब्रेडोर ने कहा, "मैं संयुक्त राष्ट्र में लिखित प्रस्ताव दूंगा। उम्मीद है कि मीडिया इसे फैलाने में हमारी मदद करेगा। आयोग का गठन पोप फ्रांसिस, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा।"

युद्ध रोकने के लिए काम करेगा आयोग 
ओब्रेडोर ने कहा कि आयोग के गठन का उद्देश्य है कि ये तीन लोग मिलकर युद्ध रोकने का प्रस्ताव पेश करेंगे। कम से कम पांच साल का समझौता करने की कोशिश होगी ताकि दुनिया भर की सरकारें अपने लोगों के लिए काम कर सकें। दुनिया में पांच साल बिना तनाव और हिंसा के बीतेगा और शांति होगी। इससे युद्ध और उसके प्रभावों से सबसे अधिक पीड़ित लोगों का जीवन बदला जा सकेगा।

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समाप्त होनी चाहिए युद्ध जैसी कार्रवाई
ओब्रेडोर ने युद्ध जैसी कार्रवाइयों को समाप्त करने का आह्वान किया। उन्होंने शांति की तलाश के लिए तीन वैश्विक शक्तियों, चीन, रूस और अमेरिका को आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि एक साल से अधिक समय से इन तीन देशों के टकराव के चलते आज दुनिया को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। मुद्रास्फीति में वृद्धि, भोजन की कमी और गरीबी जैसे परेशानियां हैं। बहुत से इंसानों की जान गई है। ओब्रेडोर ने उम्मीद जताई कि अमेरिका और चीन मध्यस्थता को सुनेंगे और स्वीकार करेंगे। यह संघर्ष विराम ताइवान, इजराइल और फिलिस्तीन के मामले में समझौतों तक पहुंचने में मदद करेगा। इससे अधिक टकराव को बढ़ावा नहीं मिलेगा।

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