9 साल तक सोना समझकर रखा पत्थर, निकला करोड़ों का उल्कापिंड!

एक व्यक्ति ने एक अनोखे पत्थर को सालों तक संभाल कर रखा था, जिसकी किस्मत अब चमक गई है। वैज्ञानिकों ने इस पत्थर को अपने कब्जे में ले लिया है और बताया है कि यह सोना नहीं, बल्कि सोने से भी कीमती है। 

मेलबर्न. धरती पर मिलने वाले अनोखे पत्थरों और चट्टानों को इकट्ठा करने का शौक। ऐसे ही इकट्ठा करते समय एक गहरे रंग का पत्थर इस व्यक्ति का ध्यान खींचा। इस पत्थर को घर लाकर इसने पूरे 9 साल तक संभाल कर रखा। इतना ही नहीं, इस पत्थर के अंदर सोना होने की उम्मीद में इसे तोड़ने की भी कोशिश की। तमाम कोशिशों के बाद भी इसमें सफलता नहीं मिली। 17 किलो वजन के इस पत्थर को तोड़ना तो दूर, उस पर एक छोटी सी दरार भी नहीं आई। आखिरकार पत्थर समेत अन्य चट्टानों को संग्रहालय ले जाने पर उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। क्योंकि इस पत्थर की जांच करने वाले वैज्ञानिकों ने बताया कि यह 1000 साल पहले धरती पर गिरा एक उल्कापिंड है। उन्होंने बताया कि यह सोने से कई गुना कीमती है।

ऑस्ट्रेलिया के डेविड होल को 2015 में जमीन में यह वस्तु मिली थी। देखने में यह पत्थर जैसी लगती है। इसका वजन 17 किलो है। हल्के लाल रंग के मिश्रण वाले इस पत्थर ने पहली नजर में ही डेविड होल को आकर्षित किया था। इसलिए उन्होंने इसे संभाल कर घर ले आए। उन्हें लगा कि इस पत्थर के अंदर सोना हो सकता है, इसलिए उन्होंने इसे तोड़ने की कोशिश की। लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी यह पत्थर नहीं टूटा।

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2015 से 2024 तक घर में रखे इस पत्थर को उन्होंने कई मशीनों से तोड़ने की कोशिश की। आखिरकार एसिड समेत अन्य रसायनों से भी इसे तोड़ने का प्रयास किया। लेकिन कुछ भी काम नहीं आया। पूरे 9 साल की कोशिश नाकाम रही। 17 किलो वजन का यह पत्थर बिना रंग फीका हुए, बिना आकार बदले वैसा ही बना रहा। जब डेविड को लगा कि अब वह इससे कुछ नहीं कर सकते, तो वह सीधे मेलबर्न के संग्रहालय में इस पत्थर को ले गए।

संग्रहालय के वैज्ञानिकों से उन्होंने कहा कि यह पत्थर टूट ही नहीं रहा है। तमाम कोशिशों के बाद भी यह वैसा ही है। उन्होंने इसे जांचने का अनुरोध किया। उनका अनुरोध स्वीकार करते हुए मेलबर्न संग्रहालय के वैज्ञानिकों ने पत्थर की जांच शुरू की। पहली नजर में ही इस पत्थर ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया। फिर उन्होंने इसकी वैज्ञानिक जांच शुरू की।

शोध जारी रहा। पत्थर के हर इंच की जांच की गई। वैज्ञानिक परीक्षण शुरू हुए। परीक्षण शुरू होते ही वैज्ञानिक खुशी से झूम उठे। क्योंकि यह पुष्टि हो गई कि यह ग्रहों से गिरा एक उल्कापिंड है। लोहे और क्रिस्टल जैसे खनिजों से बना यह उल्कापिंड है। 17 किलो वजन के इस पत्थर को वैज्ञानिकों ने मैरीबरो उल्कापिंड के रूप में पहचाना। एक और खास बात यह है कि यह 4.6 अरब साल पुराना H5 कॉन्ड्राइट (ऐसा उल्कापिंड जिसे बदला, पिघलाया या किसी भी तरह से विकृत नहीं किया जा सकता) है।

यह बेहद दुर्लभ और असाधारण उल्कापिंड है। इसकी कीमत सोने से कई गुना ज्यादा है। 17 किलो के इस उल्कापिंड की कीमत लगाना मुश्किल है। वैज्ञानिकों ने इसका अनुमानित मूल्य लाखों डॉलर से भी ज्यादा बताया है। 

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