अफ्रीका के छह लोगों ने आरोप लगाया था कि उन्हें माली से तस्करी कर लाया गया और आइवरी कोस्ट में कोको फार्म पर काम करने के लिए मजबूर किया गया। इन लोगों के समूह का कहना था कि दोनों कंपनियों ने कोको की कीमतों को कम रखने के लिए दास प्रथा को कायम रखा है।
वाशिंगटन। अफ्रीका के कोका फार्म्स में बाल मजदूरी कराने की आरोपी वैश्विक कंपनियां नेस्ले और कारगिल के खिलाफ अमेरिका ने केस चलाने से इनकार कर दिया है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अफ्रीका का मामला होने की वजह से अमेरिका में केस नहीं चलाया जा सकता है।
छह अफ्रिकन्स ने लगाया था आरोप
अफ्रीका के छह लोगों ने आरोप लगाया था कि उन्हें माली से तस्करी कर लाया गया और आइवरी कोस्ट में कोको फार्म पर काम करने के लिए मजबूर किया गया। इन लोगों के समूह का कहना था कि दोनों कंपनियों ने कोको की कीमतों को कम रखने के लिए दास प्रथा को कायम रखा है। इस पर अमेरिकी अदालत ने 8-1 से फैसला सुनाया। अदालत का मानना था कि समूह के आरोप पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकते क्योंकि दुर्व्यवहार अमेरिका के बाहर हुआ था।
विश्व का 70 प्रतिशत कोको पश्चिम अफ्रीका से अमेरिका में इंपोर्ट
विश्व का लगभग 70 प्रतिशत कोको का पश्चिम अफ्रीका में प्रोडक्शन होता है। प्रोडक्शन का अधिकतर हिस्सा अमेरिका को निर्यात किया जाता है।
1.56 मिलियन बच्चे कोको खेतों में बाल मजदूरी करते
अमेरिकी श्रम विभाग द्वारा पिछले साल प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, यह अनुमान है कि आइवरी कोस्ट और घाना में 1.56 मिलियन बच्चे कोको फार्म पर काम करते हैं।
मजदूरों के शोषण का आरोप
अपने मुकदमे में, पुरुषों के समूह ने आरोप लगाया कि उन्हें कोको के खेतों में दिन में 12-14 घंटे काम करने के लिए मजबूर किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें भागने से रोकने के लिए सोते समय उन्हें सशस्त्र गार्ड के अधीन रखा गया था। उन्हें बेहद कम भुगतान किया जाता है। केवल खाने के मूल्य से थोड़ा अधिक मजदूरी के एवज में मिलता है।
कंपनियों ने कहा किसानों के खिलाफ केस होना चाहिए
उधर, आरोपी दोनों कंपनियों ने बाल दासता की निंदा करते हुए तर्क दिया कि उनके बजाय तस्करों और उन्हें ऐसी स्थिति में रखने वाले किसानों के खिलाफ मामला बनाया जाना चाहिए। नेस्ले यूएसए ने एक बयान में कहा कि उसने कभी भी बाल श्रम नहीं किया और कोको उद्योग में बाल श्रम का मुकाबला करने के लिए कई स्तर पर निगरानी कराया है।