'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' की आवाज बुलंद करने वाले जर्नलिस्ट मारिया और दिमित्री को मिला 'शांति का नोबेल'

अलग-अलग क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वालों के लिए नोबेल पुरस्कारों(nobel prize) की घोषणा की जा रही है। शुक्रवार को मारिया रेसा और दिमित्री मुराटोव को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा(freedom of expression) के लिए नोबेल पुरस्कार की घोषणा की गई है।

नई दिल्ली. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा (freedom of expression) की दिशा में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए इस साल शांति का नोबेल पुरस्कार(nobel peace) मारिया रेसा और दिमित्री मुराटोव को को संयुक्त रूप से देने का ऐलान किया गया है। इनके नाम की घोषणा करते हुए नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी के अध्यक्ष बेरिट रीस-एंडरसन ने कहा कि मारिया रेसा ने अपने मूल देश फिलीपींस में सत्ता के दुरुपयोग, हिंसा और बढ़ते अधिनायकवाद के खिलाफ जनता को जागरूक किया।  फिलिपिंस की मारिया और रूस के दिमित्री प्रोफेशनल जर्नलिस्ट हैं।

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4 अक्टूबर से शुरू हुई थी पुरस्कारों की घोषणा
इस साल नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की शुरुआत 4 अक्टूबर को ‘चिकित्सा के लिए नोबेल पुरस्कार’ के साथ हुई थी। 5 अक्टूबर को भौतिकी, 6 अक्टूबर को रसायन शास्त्र और 7 अक्टूबर को साहित्य का नोबेल दिया गया, जबकित 11 अक्टूबर को अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार का ऐलान किया गया।

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मारिया रेसा के बारे में
मारिया रेसा ने 2012 में एक डिजिटल मीडिया कंपनी Rappler की सह-स्थापना की थी। नोबेल पुरस्कार समिति का मानना है कि उनकी कंपनी स्वतंत्र और तथ्य-आधारित पत्रकारिता करती है। वो सत्ता के दुरुपयोग, झूठ और युद्ध के प्रचार से बचाने का काम भी करती है। नोबेल पुरस्कार समिति ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सूचना की स्वतंत्रता लोकतंत्र और युद्ध और संघर्ष से सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण अपेक्षाएं हैं। समिति ने कहा कि मारिया रेसा और दिमित्री मुराटोव को 2021 के नोबेल शांति पुरस्कार देना का मतलब है कि मौलिक अधिकारों की रक्षा और बचाव के महत्व सामने लाना है।

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दिमित्री मुराटोव के बारे में
ये भी प्रोफेशनल जर्नलिस्ट हैं। इन्होंने लंबे समय तक रूस में तमाम चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बीच अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर अपनी आवाज उठाई है। ये 1993 में स्वतंत्र समाचार पत्र नोवाजा गजेटा के संस्थापकों में से एक थे। यह पत्र ऐसे तथ्यों को जाहिर करता रहा, जो लोगों के हित में थे, लेकिन दूसरे मीडिया उठाने से डरते थे। इस पत्र के शुरू होने से अब तक इसके 6 जर्नलिस्ट मारे जा चुके हैं। हालांकि तमाम धमकियों के बावजूद दिमित्री नहीं झुके। इस अखबार के प्रधान संपादक दिमित्री मुराटोव ने हमेशा पत्रकारिता की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी।

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क्या है नोबेल पुरस्कार
नोबेल फाउंडेशन ने स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में वर्ष 1901 में Nobel Prize (नोबेल पुरस्कार) शुरू किया था। यह शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में  दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है। इसमें प्रशस्ति-पत्र के साथ 10 लाख डॉलर की राशि दी जाती है।

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