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UPSC क्रैक करना था, इसलिए छोड़ दी क्लास 1 की जॉब, दूसरे ही प्रयास में 2nd टॉपर बन गई जागृति अवस्थी
करियर डेस्क. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (UPSC Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi साल 2020 में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में दूसरी रैंक हासिल करने वाली जागृति अवस्थी से बातचीत की। वो भारत हैवी इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (BHEL) में जॉब कर रहीं थी। जून 2019 में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में पहला प्रयास किया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली तो उन्होंने जॉब छोड़ दी। दूसरे प्रयास में उन्हें संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) सिविल सेवा परीक्षा में देश में दूसरा स्थान मिला। आइए जानते हैं उनकी सक्सेज जर्नी।
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बीटेक करने के बाद शुरू की जॉब
जागृति का जन्म छतरपुर में हुआ। मध्यप्रदेश के भोपाल की रहने वाली जागृति की प्रारम्भिक शिक्षा महर्षि विद्या मंदिर (Maharishi Vidya Mandir) रतनपुर भोपाल से पूरी हुई। पढ़ाई में बचपन से ही उनकी दिलचस्पी थी। उन्होंने मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान से बीटेक किया। इसके बाद इन्हों ने बीटेक करने के बाद भेल में जॉब शुरू की थी।
मजदूर वर्ग की मदद करने की चाह
वर्ष 2019 की जनवरी में उनके मन में यह विचार आया कि अब यह जॉब छोड़कर सामाजिक कार्यों से जुड़ी जॉब करनी है तो उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की। इसकी वजह बताते हुए जागृति कहती हैं कि जब वह नौकरी कर रही थीं तो उस समय उनके आस पास मजदूर वर्ग की महिलाएं आती थीं। तब वह सोचती थीं कि उनकी समस्याएं वह कैसे दूर कर सकती हैं। इन वजहों से जागृति ने अपना पूरा ध्यान सिविल सर्विस की तैयारी पर दिया और अपने लक्ष्य पर केन्द्रित होकर आईएएस (IAS) बनने का सपना पूरा किया।
ऐसे की थी परीक्षा की तैयारी
पहले प्रयास में असफल होने के बाद जब उन्होंने अपनी कमियों को सुधारा। दूसरे वर्ष की परीक्षा में समझा कि इस परीक्षा पास करने के लिए क्या क्या जरूरतें हैं। इसमें कंसिस्टेंसी के साथ रिवीजन की बहुत आवश्यकता है। फिर अपनी तैयारी में उन्होंने यह चीजें सुधारीं। वह पूर्व के वर्षों के प्रश्न पत्र और सिलेबस एक साथ पढ़ती रहीं तो उन्हें समझ में आया कि यूपीएससी में किस तरह के प्रश्न आएंगे और उन्होंने अपनी एक बुक लिस्ट बनायी। बार बार रिवीजन किया। मॉक टेस्ट दिए। अभ्यास किया, गलतियों को सुधारती रहीं।
कोविड महामारी में किया समय का सदुपयोग
कोविड महामारी आयी तो उस समय भी उनका पूरा ध्यान खुद और परिवार के स्वास्थ्य पर था कि कहीं किसी का स्वास्थ्य न बिगड़ जाए। यह सोचती थीं कि यदि घर में किसी को कोविड हो गया तो इस वजह से समय का नुकसान हो सकता है। कोविड महामारी के समय आइसोलनेशन का लम्बा फेज था। जिस समय कोविड महामारी चल रही थी। उस समय घर से ही पढ़ाई करती रहीं। समय का सदुपयोग किया।
ऐसे करती थीं खुद को मोटिवेट
जागृति कहती हैं कि बचपन में सिर्फ एक विचार था कि नौकरी करूंगी, अपना करियर बनाऊंगी। उनका संघर्ष वहां से शुरू हुआ। वह जो करना चाहती थीं। उसके लिए उनके पास समय नहीं था, जो नौकरी कर रही थीं, उसमें रूचि नहीं थी। जब उन्होंने नौकरी छोड़ी तो आय का स्रोत बंद हुआ तो जिस तरह से छात्र जीवन में अनुशासित तरीके से रहते हैं। उसी तरह से उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। नौकरी छोड़ने की वजह से आय का स्रोत बंद हुआ। कोविड महामारी के समय उन्हें यह भी विचार आया कि नौकरी नहीं छोड़नी चाहिए थी। उनका कहना है कि खुद को मोटिवेट करने का एक ही तरीका है कि आप तैयारी किस वजह से कर रहे हैं, यह देखिए, यह सोचिए की आप पढ़ाई क्यों कर रहे हैं?
निराशा में एक घंटे ज्यादा पढाई करती थीं
हताशा निराशा स्वाभाविक है। जुलाई 2019 से सितम्बर 2021 तक सवा दो साल के समय में कभी कभी लगता कि कोर्स पूरा नहीं हो पाएगा या अच्छे नम्बर नहीं आ रहे हैं। वह हमेशा यह देखती रहती थी कि कमी क्या है। उन्हें जिस दिन ज्यादा निराशा होती थी। उस दिन वह एक घंटे ज्यादा पढाई करती थीं। ताकि नकारात्मकता की वजह से समय का जो नुकसान हुआ है। उसकी भरपाई हो जाए और उन्हें संतुष्टि मिले।
घर में चार साल से टीवी नहीं
जागृति अपनी सफलता का श्रेय मां मधुलता अवस्थी—पिता सुरेश चंद्र अवस्थी, टीचर्स व मित्रों को देते हुए कहती हैं कि उन्होंने बहुत सपोर्ट किया। उनके घर में 4 साल से टीवी नहीं है। पहले दो साल जब उनका भाई पढ़ता था तो उसे दिक्कत न हो। मां—पिता ने टीवी नहीं ली और जब अगले दो साल वह तैयारी कर रही थी तो फिर टीवी नहीं ली गयी ताकि परीक्षा की तैयारी में दिक्क्त न हो। उनका भाई सुयश अवस्थी एमबीबीएस सेकेंड इयर का स्टूडेंट हैं और वर्तमान में गांधी मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहा है।
किस तरह से पढ़ाई करने की जरूरत है
जागृति कहती हैं कि कंपिटीशन क्रैक करने के लिए किस तरह से पढ़ाई करने की जरूरत है, इसे समझिए। प्रतिदिन पढ़ाई करिए। कंसिस्टेंसी महत्वपूर्ण है। रिवीजन पर ध्यान दीजिए। अपनी गलतियां निकालिए। प्रैक्टिस करके, टेस्ट देकर और फिर उन गलतियों को सुधारने में लगे रहिए। सबसे महत्वपूर्ण है कि खुद पर भरोसा रखिए। यदि आप एक सकारात्मक सोच के साथ आगे बढेंगे तो निश्चित अपने लक्ष्य तक पहुंच जाएंगे। कई सारे मैटेरियल के पीछे मत भागिए। गलतियों पर सिर्फ अफसोस जताने के बजाए उनमें सुधार लाइए। बार बार डिप्रेस मत होइए और इसका असर अपनी पढ़ाई पर मत पड़ने दीजिए। इसके अलावा परीक्षा को ही जीवन समझ लेना ठीक नहीं है, क्योंकि परीक्षा आपके जीवन का सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा है। हमेशा सकारात्मक रहिए। आप यहां सफल नहीं होंगे तो कहीं और जाकर अच्छा करेंगे।
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