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पहले प्रयास में प्रिलिम्स भी नहीं निकला, दूसरी बार में क्रैक कर लिया देश का सबसे बड़ा एग्जाम, अब बनेंगी अफसर
करियर डेस्क. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi ने 2020 में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी पर एक सीरीज चला रहा है। इस कड़ी में 158वीं रैंक हासिल करने वाली अंजलि विश्वकर्मा (Anjali Vishwakarma ) से बातचीत की। उनका सिलेक्शन आईपीएस (IPS) के लिए हुआ है। अंजलि का जन्म कानपुर में हुआ और 12वीं तक की पढ़ाई देहरादून से की। आईआईटी कानपुर (IIT KANPUR) से बीटेक (B.Tech) किया और एक विदेशी कंपनी में नौकरी ज्वाइन की। अंजलि का कहना है कि जीवन यापन के लिए नौकरी कर पैसा कमाया जा सकता है लेकिन समाज के लिए भी कुछ करना चाहिए। इसी सोच के कारण मैंने अपनी नौकरी छोड़ी और यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की। उन्हें दूसरे प्रयास में सफलता मिली। उनके पिता अरूण कुमार आर्डिनेंस फैक्ट्री, कानपुर में असिस्टेंट वर्क्स मैनेजर हैं। मां नीलम विश्वकर्मा गृहिणी हैं जबकि छोटी बहन आरूषि आईआईटी मुंबई से एमएससी (M.SC) किया। आइए जानते हैं कैसी रही अंजलि की सक्सेस जर्नी।
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तैयारी के लिए छोड़ी नौकरी
अंजलि विश्वकर्मा ने 2015 में आईआईटी कानपुर से ग्रेजुएशन किया 2018 तक ऑयल कंपनी में नौकरी की। इस दौरान वह ज्यादा समय तक विदेश में रहकर नौकरी करती रहीं। उन्होंने ऑयल कंपनी में अपनी नौकरी की शुरुआत मैक्सिको से की। कंपनी में उनका काम समुद्र में तटों से दूर (आफशोर) होता था। उनकी ट्रेनिंग यूएई में हुई। उन्होंने नार्वे, मलेशिया के स्टेट आफ मलक्का, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड के आफशोर पर काम किया। जब उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने का निर्णय लिया। उस समय वह न्यूजीलैंड में थीं।
प्रभावकारी कार्य प्रशासनिक सेवा के जरिए ही संभव
अपने काम के दौरान उन्हें लगा कि यदि जीवन में कुछ प्रभावकारी कार्य करने हैं तो वह भारतीय प्रशासनिक सेवा के जरिए ही किया जा सकता है। अंजलि का कहना है कि उन्हें लगा कि उनकी क्षमताएं विविधताओं से भरी प्रशासनिक सेवा में बेहतर तरीके से काम आ सकती है। नौकरी करने की वजह आर्थिक तौर पर सुरक्षित होने की भावना थी। ताकि अपनी पढ़ाई का खर्च उठा सकूं। मेरे साथ पढने वाले लोगों ने तैयारी की और उन्हें सफलता मिली, वह आगे बढ़े। पैसा तो बहुत लोग कमा रहे हैं यह सब देखकर लगा कि मुझे भी यूपीएससी की तैयारी करनी चाहिए। मुझे हमेशा से ऐसा काम करना था। जिसका प्रभाव समाज पर पड़े। प्रेरणा आप अपने दोस्तों से भी ले सकते हैं।
दूसरे प्रयास में मिली सफलता
अंजलि ने वर्ष 2018 में निर्णय लिया कि वह लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) परीक्षा की तैयारी करेंगी। वर्ष 2018 की परीक्षा में पहली बार भाग्य भी आजमाया। पर पहले प्रयास में प्रीलिम्स के नतीजें भी इनके पक्ष में नहीं रहे। दूसरे प्रयास में उन्हें सफलता हासिल हुई।
इंटरनेट का प्रसार कम होने से पढ़ाई पर फोकस बढ़ा
यूपीएससी की मेंस परीक्षा से पहले बहुत ही फोकस के साथ पढ़ाई करनी पड़ती है। वह भी अपने आस—पास के माहौल से बिना विचलित (डिस्ट्रैक्ट) हुए। अपने पढ़ाई के दौरान का अनुभव शेयर करते हुए अंजलि ने बताया 12वीं कक्षा तक इंटरनेट का इतना प्रसार नहीं था। उस समय पढ़ाई में फोकस करना आसान था। इसी वजह से उस समय पूरा फोकस (ध्यान) पढ़ाई पर रहता था। मौजूदा समय के विभिन्न प्रकार के मीडिया के माध्यमों की वजहों से इतना डिस्ट्रैक्शन नहीं था।
तीन साल तक सोशल मीडिया से दूरी
यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के दौरान अंजलि 15 से 16 घंटे पढ़ाई करती थीं। तीन साल से उन्होंने सोशल मीडिया का यूज करना बंद कर दिया। उनका कहना है कि परीक्षा को समझना बहुत जरूरी है कि उसके लिए क्या जरूरी तैयारियां करनी हैं। कोचिंग सेंटर में लोग सिखाते हैं और अभ्यर्थी सीखते चले जाते हैं। कभी खुद से समझने की कोशिश नहीं करते हैं कि क्या चीज करनी चाहिए, जो बेहतर होगा। परीक्षा के लिए धैर्य बहुत जरूरी है। बहुत कम अभ्यर्थी एक या दो बार प्रयास करते हैं और उनका यह प्रयास सफलता में परिवर्तित हो जाता है। असफलता के बाद थक हारकर बैठ जाना कोई विकल्प नहीं है।
परीक्षा की तैयारी में लगे युवा सोशल मीडिया से रहें दूर
परीक्षा की तैयारी में लगे युवाओं को अपनी फ्रेंड सर्किल ऐसी रखनी चाहिए, जो उनको बार—बार पढ़ाई से विचलित नहीं करें। पढ़ाई पर फोकस और कनसिस्टेंसी (स्थिरता) जरूरी है। सभी लोग हार्डवर्क कर लेते हैं। मतलब यह है कि आप रोज 4 घंटे ही पढ़िए पर क्वालिटी स्टडी करिए। यह समझने की कोशिश करिए की आप जो पढ़ रहे हैं, वह आपके समझ में आ रहा है या नहीं। एक से दो साल के लिए सोशल मीडिया से दूरी बनाकर रखें, यदि एक दो साल के लिए छोड़ना पड़े तो कोई बड़ी बात नहीं होनी चाहिए। घबराना नहीं, धैर्य रखना है। अपने टाइमलाइन पर फोकस रखिए।
सिर्फ पढ़ने से पर्सनालिटी विकसित नहीं होती
अंजलि का कहना है कि कम्पटीशन की तैयारियों के दौरान निराशा आती है। वर्ष 2018-19 में जब प्रीलिम्स के नतीजे पक्ष में नहीं आए तो निराशा हुई। महसूस हुआ कि तैयारियों का तरीका सही नहीं था। पढ़ाई के दौरान दिन भर सिर्फ पढ़ने के लिए ही नहीं बैठी रहती थी, क्योंकि 15 से 18 घंटे लगातार पढ़ाई करने के दौरान जब कुछ समझ मे नहीं आता, तो ब्रेक लेती थी। मेरी कुछ शौक हैं। फोटोग्राफी के साथ स्केचिंग भी करती थी। नई भाषाएं सीखना शुरू कर दिया। इसके अलावा जब भी मौका मिलता था, खेलती थी। सिर्फ पढ़ने से पर्सनालिटी विकसित नहीं होगी। नये प्रयोग करने होते हैं। ओवरऑल आपका व्यक्तित्व अच्छा होना चाहिए। स्कूल सिखाता है कि परीक्षा में प्रथम आना है। कॉलेज आपको सिखाता है कि परीक्षा में अधिकतम अंक लाना है। इसी तरह यदि यूपीएससी की परीक्षा आपके समझ में आ गयी तो आप इसमें भी सफल होंगे।
पर्सनालिटी ही तय करती है कि आप प्रशासनिक सेवा का हिस्सा बनेंगे या नहीं
पहले यह समझने की जरूरत है कि इस परीक्षा के लिए क्या जरूरी चीजें चाहिए। पुराने प्रश्न पत्रों के सवाल जरूर देखने चाहिए। छोटी से छोटी चीजों के बारे में जानना जरूरी है। छोटी—छोटी स्कीम के बारे में जानना जरूरी है। न्यूज पेपर रोज पढ़ने की आदत डालनी चाहिए। इससे व्यक्तित्व का विकास होता है और अंत में यही तय करता है कि आप प्रशासनिक सेवा का हिस्सा बनेंगे या नहीं। 15 घंटे पढ़कर भी कुछ नहीं होने वाला है, आपको जो हॉबी पसंद है, उसे विकसित करें। हालांकि यह मौका काफी लोगों को नहीं मिलता है। पर जीवन के इस हिस्से को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ऑलराउंडर बनने की कोशिश करना चाहिए।
पूरा इंटरव्यू खराब कर सकता है ये एक सवाल
आप परीक्षा के लिए एक फॉर्म भरते हैं। जिसमें आपके स्कूल, कॉलेज से लेकर सभी शौक शामिल होते हैं। सामान्यत: उसी से सारे सवाल लिए जाते हैं। यह भी समझना जरूरी है कि आपको आईएएस या आईपीएस बनना है तो क्यों बनना है, क्योंकि यही एक सवाल पूरा इंटरव्यू खराब कर सकता है।
जिन सवालों का नहीं आता था जवाब, कहा—मुझे पढ़ना होगा
अंजलि अपने इंटरव्यू के अनुभव को शेयर किया। उन्होंने कहा कि इंटरव्यू के दौरान उनसे कई सवाल पूछे गए। जिन सवालों के जवाब नहीं आते थे। उन पर सीधा जवाब दिया कि मुझे नहीं पता है, पढ़ना होगा। इंटरव्यू में यह अच्छा माना जाता है। इंटरव्यू में देखा जाता है कि आप न्यूट्रल हैं या फिर आपका झुकाव कहीं किसी एक समुदाय या सिद्धांतों की तरफ तो नहीं है। पूरे वर्ष न्यूज पेपर पढ़ना चाहिए। इंटरव्यू के पहले थोड़ी चिंता होती है पर पूरा दिन आराम से बिताइए।
मां-पिता को देती हैं सफलता का श्रेय
अंजलि अपनी सफलता का श्रेय अपने मां—पिता को देते हुए कहती हैं कि उन्होंने मुझे यह आश्वासन दिया कि आप पढ़ाई करिए। हम आप पर किसी अन्य चीज के लिए दबाव नहीं बनाएंगे। छोटी बहन आरुषि का सहयोग मिला। घर में पढ़ाई का माहौल बहुत अच्छा था। टीचर्स का सपोर्ट मिला। जब न्यूजीलैंड की नौकरी से इस्तीफा दिया तो पूर्व के सहकर्मियों का भी सपोर्ट मिला।
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