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20 लाख रु. का अट्रैक्टिव पैकेज छोड़कर ईशा ने क्रैक किया UPSC, परिवार में है अफसरों की पूरी फौज
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मां हैं मानवाधिकार कार्यकर्ता व अधिवक्ता, पिता पूर्व आईपीएस
ईशा सिंह की मां आभा सिंह मानवाधिकार कार्यकर्ता व अधिवक्ता हैं। वह भारतीय डाक सेवा में अधिकारी थीं। वह सलमान खान के खिलाफ हिट एंड रन केस में पैरवी भी कर चुकी हैं। आभा सिंह मुम्बई में ही वकालत करती हैं। नवम्बर 2012 में उन्होंने सेवा से वीआरएस लिया। उनके पिता वाईपी सिंह वर्ष 1985 बैच के आईपीएस अफसर रह चुके हैं। उन्होंने भी वर्ष 2004 में भारतीय पुलिस सेवा से वीआरएस लिया और अब समाज सेवा के कार्य में जुटे हैं। वाईपी सिंह की गिनती तेज तर्रार अफसरों में होती है। ईशा सिंह के मामा राजेश्वर सिंह प्रवर्तन निदेशालय में तैनात हैं। उनके नाना रणबहादुर सिंह भी आईपीएस अधिकारी थे।
यदि आप यूपीएससी की करते हैं तैयारी तो कभी लूजर नहीं हो सकते
ईशा कहती हैं कि वह बचपन में बहुत पढ़ने लिखने वाली लड़की नहीं थीं। 10वीं, 12वीं और लॉ स्कूल में अच्छे रिजल्ट आएं। यूपीएससी ने पढ़ाई का बहुत अच्छा अवसर दिया। उनका कहना है कि यूपीएससी में आपका चयन हो या न हो। यह आपके व्यक्तित्व को पूरी तरह से परिवर्तित कर देता है। आप अर्थशास्त्र, राजनीति, भूगोल, सामान्य अध्ययन और इतिहास सरीखे सारे विषय पढते हैं। इससे आपकी जानकारी बढती है जो हमेशा काम आती है। आप इस परीक्षा में शामिल होने के बाद कभी लूजर नहीं हो सकते हैं। यदि आपने यूपीएससी के लिए पढाई की है तो यह आपके सामान्य जीवन में कभी न कभी काम आएगी। आपको अपने आप को व्यक्तिगत तौर पर विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए।
परीक्षा के एक हफ्ते पहले विधवाओं को दिलाया न्याय
ईशा सिंह का कहना है कि परीक्षा के एक हफ्ते पहले मुम्बई में सफाई कर्मियों की जान गयी थी। उनकी विधवाओं को दस—दस लाख का मुआवजा दिलवाया। इसमें मुम्बई हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से जानकारी मांगी है कि सरकार ने अब तक कितने मैन्युअल स्कैंवेजर चिन्हित किए हैं। क्रिमिनल जस्टिस और महिला सशक्तिकरण में काफी काम किया है। पालिसी चेंज लाने के लिए कोर्ट में पीआईएल दाखिल की है। ऐसा नहीं कि मैंने सारा काम छोड़कर सिर्फ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की है।
काम से समाज में लाएंगे बदलाव, वही सफलता
उनका कहना है कि यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में आप सीखते हैं। इससे आपका विकास होता है। कर्म करना आपके हाथ में है, फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। जब आपकी अपने काम में रूचि होती है तो यह आपको संघर्ष नहीं लगता। काम तो अभी शुरू होगा। जब हम अपने काम से समाज में बदलाव ला सकेंगे। यदि किसी को न्याय मिलता है, तब हम उसे सफलता समझे।
संकुचित मानसिकता से निकलिए बाहर
पिछली बार साक्षात्कार के बाद भी परिणाम मेरे पक्ष में नहीं आए थे। हर समय काम में लगे रहते थे। पर हर 15 दिन में किसी न किसी से मुलाकात करती थी। इसके लिए मैं अपने दोस्तों की आभारी हूं। मुझे सुबह के समय की पढाई अच्छी लगती थी तो मैंने सुबह के समय पढाई का रूटीन बनाया। परीक्षा ने मुझे सिखाया कि आपको संकुचित मानसिकता से बाहर निकलना होगा। आपको स्वतंत्र रूप से सोचना सीखना होगा। अपनी ताकत और कमजोरी का विश्लेषण करिए और उसके अनुसार एक रणनीति बनाकर आगे बढ़िए।
इनको देती हैं अपनी सफलता का श्रेय
ईशा सिंह अपनी सफलता का श्रेय पिता वाईपी सिंह, मां आभा सिंह, भोनु भईया और नाना—नानी को देती हैं। उनकी मां पढाई के दौरान उनके साथ रहती थी। पिता भी यूपीएससी की तैयारियों के दौरान मदद करते थे। ईशा सिंह का कहना है कि यह लोग हमेशा मुझे मोटिवेट करते थे। पैरेंटस ने मुझे सीखाया है कि कोई आपको परिभाषित न करें। आप अपने स्वतंत्र विचार से आगे बढिए। साक्षात्कार में यही सोच ले कर गयी थी कि जितना बेहतर प्रयास कर सकती हूं करूं।
यूपीएससी की तैयारी में लगे युवाओं के लिए Do और Don't
यूपीएससी की तैयारी में लगे युवाओं से कहना चाहूंगी कि आप बाजार से प्रभावित मत हों। संकुचित मानसिकता पर मत जाइए। कुछ लोग कहते हैं कि यह परीक्षा मैं ऐसे ही दे रहा हूं। अगले साल फिर परीक्षा दूंगा। बहुत लोग कहते हैं कि यह परीक्षा बहुत कठिन है। इस तरह के शोर से दूर हटिए। अपना एक स्वतंत्र विचार बनाइए। अपनी ताकत और कमजोरी का विश्लेषण करिए। दूसरी बात यह कहना चाहूंगी कि बहुत ज्यादा मैटेरियल पर मत जाइए, क्योंकि इतनी ज्यादा चीजें आती रहती हैं कि आदमी उसमें डूब जाए। करेंट अफेयर्स पर ध्यान दीजिए। पेपर खूब पढिए, अपनी जिज्ञासा बढाइए। मैटेरियल कम रखिए, प्रैक्टिस बढाइए। बीते वर्षों के प्रश्न पत्र पर वर्क करिए। परीक्षा देने के पहले खुद को वार्म अप करिए। आत्मविश्वास बढ़ाइए।
युवाओं को संदेश
आप खुद को कम मत समझिए। अपने सपने पूरे करके रहिए। भारत को आगे ले जाइए। यह युवाओं से मेरा निवेदन है। कोई भी काम करो, देश और नागरिकों को अपने दिल में रखों। हमारे युवाओं में बहुत योग्यता है। हम विकसित देशों को पीछे छोड़ सकते हैं। जीवन में सफल होने के लिए आपको जिद्दी बनना होगा कि अब कोई कुछ भी कहें।
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