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UPSC INTERVIEW: लोग कहते थे तुमसे ना हो पाएगा, हताशा में दिया एग्जाम, सेलेक्ट हो गया तब मिली सीख
करियर डेस्क. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi ने 2020 में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में 372वीं रैंक हासिल करने वाले भानु प्रताप सिंह से बातचीत की। भारतीय प्रशासनिक सेवा का हिस्सा बनने का सपना संजो रहे युवाओं को हिंदी विषय से यूपीएससी परीक्षा (UPSC EXam) क्रैक करना टेढी खीर लगता है, यह आम धारणा है। लेकिन देश के पिछड़े इलाकों से आने वाले ज्यादातर कैंडिडेट्स हिंदी मीडियम के ही होते हैं। आगरा के फतेहपुर सीकरी क्षेत्र के कराही गांव के रहने वाले भानु प्रताप सिंह (Bhanu Pratap Singh) ने हिंदी मीडियम से पढ़ाई कर सफलता हासिल की है। आइए जानते हैं उनकी सक्सेज जर्नी।
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बिना कोचिंग सेल्फ स्टडी पर किया फोकस
भानु प्रताप लोवर मीडिल क्लास फैमिली से हैं। उनके पिता उत्तम सिंह किसान और मां गंगा देवी गृहिणी हैं। संयुक्त परिवार और छोटी पूंजी, ऐसे में यूपीएससी परीक्षा क्रैक करने के लिए तैयारी करना किसी चुनौती से कम नहीं थी। लेकिन उनका सपना था आईएएस/आईपीएस बनना। उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए कठोर श्रम किया। बिना कोचिंग के सेल्फ स्टडी शुरू की। हर दिन 8 से 10 घंटे पढ़ाई करते थे। साल 2016 और 2017 के प्रयास में असफलता मिली लेकिन 2018 और 2019 में उन्हें लगातार सफलता मिली। 2020 में उन्होंने एक बार फिर से यूपीएससी परीक्षा क्रैक की।
ट्रेनिंग के दौरान दी परीक्षा
भानु प्रताप सिंह ने वर्ष 2016 से परीक्षा की तैयारी शुरू की। वर्ष 2018 में उनका सिलेक्शन आईआरपीएस काडर में हुआ था। वर्ष 2019 में उन्हें फिर सफलता मिली और उन्हें इंडियन आडिट एंड एकाउंट सर्विसेज का काडर मिला। भानुप्रताप वर्तमान में नेशनल एकेडमी ऑफ आडिट एंड एकाउंट शिमला में ट्रेनिंग ले रहे हैं। इसी दौरान उन्होंने यूपीएससी की मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू दिया।
समाज में ला सकते हैं बदलाव
उनका कुछ बड़ा करने का सपना था। जिसके लिए सिविल सर्विसेज एक अच्छा प्लेटफार्म है। उनका कहना है कि इसके जरिए आप समाज के लिए कुछ कर सकते हैं। इस सर्विस में शामिल होने के बाद आप बदलाव ला सकते हैं। भानु प्रताप कहते हैं कि वह जिस बैकग्राउंड से आते हैं, वहां दूर—दूर तक कोई सिविल सर्वेंट नहीं है। यह चीजें दिमाग थी इसी वजह से यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की तरफ कदम बढ़ाया।
हताश होकर दी थी यूपीपीएससी की परीक्षा
भानु प्रताप सिंह का कहना है कि तैयारी के दौरान हताशा निराशा आती थी। समाज के लोग कहते थे कि तुमसे नहीं हो पाएगा। एक बार इतना हताश हो गया था कि उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा दी तो वहां भी चयन हो गया था। फिर सोचा कि समाज के लोगों द्वारा कही गयी बातें आपकी योग्यता को परिभाषित नहीं कर सकती। आपको क्या करना है, यह आप तय करते हैं। यदि आपके अंदर यूपीएससी क्रैक करने की क्षमता है तो फिर परीक्षा दो, तो फिर तो फिर यूपीएससी परीक्षा को प्राथमिकता दी। उसी वर्ष 2018 में यूपीएससी में आईआरपीएस काडर भी मिला। वहां से एक साल की छुट्टी लेकर फिर तैयारी की तो वर्ष 2019 में इंडियन ऑडिट एंड एकाउंट सर्विसेज काडर मिला।
परिवार और दोस्तों को देते हैं सफलता का श्रेय
भानु प्रताप अपनी सफलता का श्रेय परिवार और दोस्तों का देते हुए कहते हैं कि जब भी वह निराश होते थे तो पत्नी और दोस्त उनका उत्साह बढ़ाते थे। वह लोग हमेशा कहते थे कि प्रयास करो। परिणाम अच्छा आएगा।
हिंदी में ही हुआ था इंटरव्यू
भानु प्रताप सिंह का इंटरव्यू हिंदी में ही हुआ था। उनका कहना है कि जब आप इंटरव्यू बोर्ड के सामने जाते हैं, वह आपके व्यक्तित्व का परीक्षण करते हैं। वह यह देखते हैं कि आपके अंदर कल्याणकारी राज्य की अवधारणा है या नहीं। कहीं आप लिंगभेदी, जातिवादी तो नहीं है। 20 मिनट के साक्षात्कार में उनसे रोचक सवाल पूछे गए थे।
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