Pervez Musharraf Death: तो 24 साल पहले ही जिंदा नहीं बचते परवेज मुशर्रफ, इस वजह से बच गई थी जान

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का रविवार को 79 साल की उम्र में निधन हो गया। मुशर्रफ का लंबे समय से दुबई के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। वे अमाइलॉइडोसिस नामक बीमारी से जूझ रहे हैं, जिसके चलते उनके सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया था।

Ganesh Mishra | Published : Feb 5, 2023 7:20 AM IST

Pervez Musharraf Death: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का रविवार को 79 साल की उम्र में निधन हो गया। मुशर्रफ का लंबे समय से दुबई के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। मुशर्रफ की फैमिली के मुताबिक, वे अमाइलॉइडोसिस नामक बीमारी से जूझ रहे हैं, जिसके चलते उनके सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। यह इस बीमारी में शरीर के भीतर अमाइलॉइड नाम का एक एबनॉर्मल प्रोटीन बनने लगता है, जो धीरे-धीरे शरीर के सभी अंगों को निष्क्रिय कर देता है।

ऐन वक्त पर बच गए थे मुशर्रफ :

पाकिस्तान का राष्ट्रपति बनने से पहले परवेज मुशर्रफ आर्मी चीफ थे। भारत-पाकिस्तान के बीच करगिल में हुए युद्ध के लिए मुशर्रफ को ही जिम्मेदार माना जाता है। वैसे, मुशर्रफ के बारे में लोग काफी कुछ जानते हैं, लेकिन ये बात बेहद कम लोगों को ही पता होगी कि करगिल की जंग में भारतीय वायुसेना परवेज मुशर्रफ और नवाज शरीफ पर बम गिराने वाली थी, लेकिन ऐन मौके पर मुशर्रफ बच गए।

आखिर क्या था पूरा मामला?

ये वाकया 24 जून, 1999 की सुबह करीब 8 बजकर 45 मिनट का है। करगिल की जंग में भारतीय सेना लगभग पाकिस्तान पर जीत हासिल कर चुकी थी। इसी दौरान, भारतीय वायुसेना का एक लड़ाकू विमान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ पर बम गिराने वाला था, लेकिन भारतीय वायुसेना के एक सीनियर पायलट के मना करने पर ऐसा नहीं हो पाया और परवेज मुशर्रफ बच गए। इस बात का खुलासा एक सरकारी डॉक्यूमेंट से हुआ था।

तब इस वजह सेबच गए थे परवेज मुशर्रफ :

दरअसल, 24 जून 1999 को भारतीय वायुसेना के जगुआर लड़ाकू विमान ने नियंत्रण रेखा (LOC) पर उड़ान भरी। इसका टारगेट पाकिस्तानी सेना के सबसे अहम ठिकाने पर लेजर गाइडेड मिसाइल से बमबारी करना था। पायलट एलओसी के दूसरी ओर गुलतेरी पर बम गिराने को तैयार था। लेकिन ऐन मौके पर एक सीनियर अफसर के कहने पर बम को टारगेट से बाहर गिरा दिया गया। रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि अगर बम को सही जगह टारगेट किया जाता तो परवेज मुशर्रफ और नवाज शरीफ जिंदा नहीं बचते। हालांकि, तब भारतीय वायुसेना को इस बात की जानकारी नहीं थी कि ये दोनों गुलतेरी में ही मौजूद थे।

आखिर क्यों गुलतेरी पहुंचे थे मुशर्रफ और शरीफ :

करगिल युद्ध के समय गुलतेरी पाकिस्तानी सेना का एडवांस्ड सैन्य ठिकाना था, जहां से सेना को हथियार और खाने-पीने का सामान पहुंचाया जाता था। गुलतेरी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में एलओसी से सिर्फ 9 किलोमीटर अंदर स्थित है। 24 जून को पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ इसी सैन्य ठिकाने पर सैनिकों का हौसला बढ़ाने आए थे।

भारतीय सेना को नहीं थी मुशर्रफ-शरीफ की जानकारी :

हालांकि, भारत को ये जानकारी नहीं थी, लेकिन वो उनके इस ठिकाने को खत्म करना चाहता था। अगर उस दिन बम को निशाने पर गिराया जाता, तो दोनों ही जिंदा न बचते। मई 2016 में पाकिस्‍तान की कोर्ट ने देशद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे परवेज मुशर्रफ को भगोड़ा घोषित किया था। जिसके बाद वे दुबई चले गए थे। परवेज मुशर्रफ 20 जून 2001 से 18 अगस्त 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे।

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