पाकिस्तान में दहशत, ट्विटर, व्हाट्सएप, फेसबुक को लेकर लेने जा रहा यह बड़ा फैसला

पाकिस्तान सरकार डेटा चोरी के डर के कारण सोशल नेटवर्किंग साइटों ट्विटर, व्हाट्सएप, फेसबुक और यूट्यूब पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रही है। यह रोक सरकारी कार्यालयों में लगाई जा सकती है। सरकार नया सॉफ्टवेयर तैयार कराने की दिशा में काम करा रही है। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 21, 2019 8:22 AM IST

इस्लामाबाद. पाकिस्तान सरकार डेटा चोरी के डर के कारण सरकारी ऑफिसों में सोशल नेटवर्किंग साइटों ट्विटर, व्हाट्सएप, फेसबुक और यूट्यूब पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रही है। पाकिस्तान का राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी बोर्ड इस मसले पर काम कर रहा है, पाकिस्तान की नेशनल असेंबली की एक कमेटी ने इस मामले को लेकर प्रस्ताव दिया जिसमें सरकारी कार्यालयों में ट्विटर, व्हाट्सएप, फेसबुक और यूट्यूब जैसी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की गई है। 

डेटा लीक होने का है डर

NITB का कहना है कि वह व्हाट्सएप की तर्ज पर एक ऐसा नया सॉफ्टवेयर तैयार कर रहे हैं, जिसका इस्तेमाल सरकारी कर्मचारियों के लिए किया जा सकता है। बोर्ड का कहना है कि ज्यादातर बात व्हाट्सएप के द्वारा की जाती है जिससे महत्वपूर्ण डेटा लीक होने का खतरा बढ़ जाता है। इस सॉफ्टवेयर की मदद से अधिकारी आसानी से एक-दूसरे से बातचीत कर पाएंगे और डेटा भी लीक होने का खतरा टल जाएगा। 

चेयरमैन ने मांगी रिपोर्ट

राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी बोर्ड द्वारा गठित की गई कमेटी के चेयरमैन अली खान ने इस मामले में सरकार से पूरा प्लान मांगा है, क्योंकि इस तरह का सिस्टम लागू करने से विपक्ष की ओर से अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात उठ सकती है। इस सॉफ्टवेयर के आने से सरकारी कर्मचारियों द्वारा काम के दौरान सोशल मीडिया के उपयोग पर पूर्णता प्रतिबंध लगने की संभावना है।

स्टोरेज डिवाइस पर भी लगेगी रोक

कमेटी ने कहा है कि फेसबुक और व्हाट्सएप के साथ ही अधिकारियों को स्टोरेज डिवाइस, यूएसबी को भी ऑफिस में लाने पर भी रोक लग जाएगी। NITB ने कहा कि फर्जी खबरों को रोकने के लिए एक अलग से रूपरेखा पर विचार किया जा रहा है, जिसके तहत सोशल मीडिया पर केवल प्रामाणिक सरकारी समाचार जारी किए जाएंगे। NITB की ओर से कहा गया है कि वह इस प्रस्ताव पर जून 2020 तक काम शुरू कर सकती है। सरकारी कार्यालयों को ई-ऑफिस में बदलने के बाद यह कानून बनाया जाएगा। इसकी लागत 1.4 अरब रुपये हो सकती है। समिति को बताया गया कि 29 मंत्रालयों को ई-कार्यालयों के विभिन्न स्तरों पर अपग्रेड किया गया है जबकि 13 अभी भी बाकी हैं।

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