जम्मू-कश्मीर मसले पर इमरान खान ने कहा- 370 हटाकर मोदी ने की बड़ी भूल

इमरान ने कहा- ''मैंने हिंदुस्तान से कहा था कि कश्मीर मामले का हल बातचीत से निकले। लेकिन जब भी हम कश्मीर पर बात करना चाहते थे, वो आतंकवाद पर बोलते रहे। इसके बाद भारत में चुनाव आए और हमने उनके पाकिस्तान विरोधी अभियानों को देखा। अगस्त में मोदी ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म कर इस राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाकर सबसे बड़ी गलती की।

Asianet News Hindi | Published : Aug 26, 2019 1:17 PM IST

नई दिल्ली। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को अपने देश को संबोधित किया। इस दौरान इमरान खान एक बार फिर आर्टिकल 370 और कश्मीर मुद्दे पर बौखलाए से नजर आए। इमरान ने कहा- ''आज हम कश्मीर को लेकर आपसे बात करेंगे। हम अब एक ऐसे मंच पर आ गए हैं जहां फैसला लेने की जरूरत है कि कश्मीर पर क्या किया जाना चाहिए।

इमरान ने कहा- ''मैंने हिंदुस्तान से कहा था कि कश्मीर मामले का हल बातचीत से निकले। लेकिन जब भी हम कश्मीर पर बात करना चाहते थे, वो आतंकवाद पर बोलते रहे। इसके बाद भारत में चुनाव आए और हमने उनके पाकिस्तान विरोधी अभियानों को देखा। अगस्त में मोदी ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म कर इस राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाकर सबसे बड़ी गलती की। भारत को इसके नतीजे भुगतने होंगे। 

कब हटी धारा 370...
जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को हटाया था। इससे जम्मू-कश्मीर में भी भारत का संविधान लागू होने का रास्ता साफ हो गया। जानकारों के मुताबिक, सरकार का यह फैसला असंवैधानिक नहीं माना जा सकता, क्योंकि अनुच्छेद 370 के तहत ही राष्ट्रपति को जम्मू-कश्मीर के लिए फैसले लेने और आदेश जारी करने का अधिकार है। 

कब लागू हुआ था अनुच्छेद 370?
जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार के समय संविधान में अनुच्छेद 370 जोड़ा गया था। इसके तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा और कुछ विशेषाधिकार मिले हुए थे। यानी केंद्र सरकार सिर्फ रक्षा, विदेश और संचार से जुड़े मामलों में ही राज्य में दखल दे सकती थी। संसद की तरफ से पारित कई कानून जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होते थे। अनुच्छेद 370 के तहत ही अनुच्छेद 35-ए को जोड़ा गया था, जिससे राज्य के लोगों को कुछ विशेषाधिकार मिले हुए थे। अनुच्छेद 370 के प्रभावी रहने पर राज्य का पुनर्गठन नहीं किया जा सकता था।
 

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