कट्टरपंथी आतंकवादी संगठन तालिबान अफगानिस्तान में इस्लामिक कानून लागू करने के साथ ही बेहद त्रासदीदायक फतवों को जारी करता है। आधुनिकता से सख्त परहेज रखने वाला तालिबान सबसे अधिक अत्याचार महिलाओं और आधुनिक सोच रखने वाले लोगों पर करता है।
इस्लामाबाद। पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) को तालिबान (Taliban) के अफगानिस्तान (afghanistan) पर कब्जा करने के बाद एक बार फिर से इस्लामिक संस्कृति की याद आई है। उन्होंने तालिबान के इस्लामिक राज्य को मान्यता देते हुए कहा कि अफगानिस्तान गुलामी की जंजीरों से मुक्त हो गया है।
इमरान खान ने तालिबान की सत्ता वापसी पर खुशी जताते हुए कहा कि तालिबान का अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होना ‘दासता की जंजीरों को तोड़ने वाला है। इमरान ने कहा कि इंग्लिश मीडियम का एजुकेशन और कामकाज की भाषा गुलामी का संकेत है। जब आप दूसरों का कल्चर अपनाते हैं तो मानसिक रूप से गुलाम होते हैं। उन्होंने कहा कि यह नहीं भूलना चाहिए कि यह स्थिति वास्तविक दासता से भी बुरा होता है। सांस्कृतिक गुलामी की जंजीरों को तोड़ना आसान नहीं होता है। अफगानिस्तान ने अपनी गुलामी की जंजीरों को तोड़ दिया है।
तालिबान की हिमायत करने वाले देशों में शामिल हुआ पाकिस्तान
अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है। कट्टरपंथी आतंकवादी संगठन तालिबान अफगानिस्तान में इस्लामिक कानून लागू करने के साथ ही बेहद त्रासदीदायक फतवों को जारी करता है। आधुनिकता से सख्त परहेज रखने वाला तालिबान सबसे अधिक अत्याचार महिलाओं और आधुनिक सोच रखने वाले लोगों पर करता है।
कई देश अपना हित साधते हुए उसको मान्यता देने में लगे
लेकिन तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद कई देश अपना हित साधते हुए उसको मान्यता देने में लगे हुए हैं। पाकिस्तान और चीन सबसे पहले तालिबान की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा दिए हैं। रूस भी तालिबान को लेकर नरम रूख अपनाए हुए है। इसके अलावा ईरान आदि ने भी तालिबान को मान्यता देने का मन बना लिया है। इन देशों ने अफगानिस्तान में अपने दूतावास को बंद नहीं किए हैं। जबकि अन्य देश जल्दी जल्दी अपने दूतावास बंद कर रहे और अपने नागरिकों को वापस बुलाने में लगे हुए हैं।
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