अफगान ऑपरेशन के दौरान मारे गए ब्रिटिश सैनिकों के परिवारों ने भी तालिबान के कब्जे के बाद रोष और दुख जाहिर किया। सारा एडम्स भी इन्हीं परिवारों में से एक हैं, जिनके बेटे की 21 साल की उम्र में अफगानिस्तान में मौत हो गई।
काबुल. तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। ऐसे में जो सैनिक अफगान-तालिबान वॉर में मारे गए या जिन सैनिकों ने खुद के हाथ-पैर गंवा दिए उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने रिएक्शन दिए हैं। इन्हीं सैनिकों में से एक जैक कमिंग्स हैं। साल 2010 में उन्होंने अफगानिस्तान में अपने दोनों पैर गंवा दिए। उन्होंने ट्वीट कर रहा, क्या इसके लिए हमने लड़ा। शायद नहीं। क्या मैंने बिना कुछ लिए अपने पैर खो दिए? क्या मेरे साथी व्यर्थ में मर गए। हां।
'मेरे बेटे का बलिदान क्या था'
अफगान ऑपरेशन के दौरान मारे गए ब्रिटिश सैनिकों के परिवारों ने भी तालिबान के कब्जे के बाद रोष और दुख जाहिर किया। सारा एडम्स भी इन्हीं परिवारों में से एक हैं, जिनके बेटे की 21 साल की उम्र में अफगानिस्तान में मौत हो गई। जब 2009 में उनके बेटे के बख्तरबंद गाड़ी को बम से उड़ा दिया गया था। सारा एडम्स ने कहा, क्या मेरे बेटे का बलिदान व्यर्थ था।
साउथ वेल्स के क्वमब्रान के ने कहा, पिछले कुछ दिनों में अफगानिस्तान में क्या हो रहा है, यह देखना विनाशकारी और दुखी करने वाला है। यह देखना दिल दहला देने वाला है कि क्या हो रहा है। न केवल उन परिवारों के लिए जिन्होंने अपने बेटे और पति को खो दिया है, बल्कि उन लोगों के लिए भी है जिन्होंने अपने हाथ और पैर गंवा दिए।
"ये चेहरे पर एक थप्पड़ जैसा है"
2010 में 34 साल की उम्र में अपने पति पीटर को खोने वाली वेंडी रेनर ने कहा कि मेरे पति जैसे लोगों के बलिदान के बाद यह सिर्फ चेहरे पर थप्पड़ जैसा है। इनके पति अफगानिस्तान में एक विस्फोट में मारे गए थे।
मेजर जनरल चार्ली हर्बर्ट ने भी इस संघर्ष में कई सैनिकों को खो दिया। उन्होंने कहा, कितना शर्मनाक है ये सब। मेरे पास इसे कहने के लिए शब्द नहीं हैं। मैं बता नहीं सकता हूं कि कितना गुस्से में हूं।
ये भी पढ़ें.
14 अप्रैल को एक ऐलान के बाद शुरू हुई अफगानिस्तान की बर्बादी, टाइमलाइन के जरिए कब्जे की पूरी कहानी
भारत से रिश्ते नहीं बिगाड़ना चाहता तालिबान; पाकिस्तान के 'पचड़े' को लेकर कही ये बात