राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ( Ram Nath Kovind) ने शुक्रवार को बांग्लादेश के राजधानी ढाका स्थित ऐतिहासिक रमना काली मंदिर में दर्शन करने पहुंचे। राष्ट्रपति तीन दिन की बांग्लादेश यात्रा पर हैं। उनकी यह यात्रा बांग्लादेश की आजादी के 50 साल पूरे होने के अवसर पर स्वर्णिम विजय दिवस (Vijay Diwas) के अवसर पर हो रही है।
ढाका. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) अपनी तीन दिवसीय यात्रा(15-17 दिसंबर) पर इन दिनों बांग्लादेश में हैं। अपनी यात्रा के अंतिम दिन सुबह-सुबह राष्ट्रपति ढाका स्थित ऐतिहासिक रमना काली मंदिर पहुंचे। यहां उन्होंने पूजा-अर्चना की। बता दें कि 27 मार्च 1971 को पाकिस्तानी सेना ने इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया था। पाकिस्तानी सेना ने यह कार्रवाई ऑपरेशन सर्चलाइट के तहत की थी। इसे पाकिस्तानी सेना ने उस समय के पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली राष्ट्रवादी आंदोलन का दमन करने के लिए शुरू किया था। इस मंदिर को फिर से दुरुस्त किया गया है। राष्ट्रपति इसी को देखने गए थे।
मां काली का आशीर्वाद मिला
राष्ट्रपति ने मंदिर में मां काली के दर्शन करने के बाद कहा-आप सभी से मिलने आने से ठीक पहले आज सुबह मैं ऐतिहासिक रमना काली मंदिर गया, जहां मुझे जीर्णोद्धार वाले मंदिर के उद्घाटन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मैं इसे मां काली के आशीर्वाद के रूप में देखता हूं। बता दें कि राष्ट्रपति ढाका में भारतीय समुदाय और भारत के मित्रों के स्वागत समारोह में पहुंचे थे।
राष्ट्रपति ने कहा-मुझे बताया गया है कि बांग्लादेश और भारत की सरकारों और लोगों ने उस मंदिर को बहाल करने में मदद की, जिसे पाकिस्तानी सेना ने मुक्ति संग्राम के दौरान ध्वस्त कर दिया था। यह मंदिर भारत और बांग्लादेश के लोगों के बीच आध्यात्मिक और सांस्कृतिक बंधन का प्रतीक है। यह मेरी बांग्लादेश यात्रा के लिए एक शुभ समापन है।
भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति में बांग्लादेश का विशेष स्थान
राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द 15 दिसंबर की सुबह ढाका में हज़रत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचे थे। बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद अब्दुल हमीद ने खुद उनकी अगवानी की थी। कोविड महामारी के प्रकोप के बाद यह उनकी पहली राजकीय यात्रा है।
यह रहा पिछला कार्यक्रम
हवाई अड्डे पर राष्ट्रपति का रस्मी स्वागत किया गया और उन्हें सलामी गारद पेश की गई। उसके बाद उन्होंने सावर में “जातिर स्मृति सौध” (नेशनल मार्टियर्स मेमोरियल) का दौरा किया और बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उसके बाद वे 32, धानमण्डी स्थित “जातिर जनक बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान स्मृति जादूघर” (बंगबंधु मेमोरियल म्यूजियम) गये और बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान को श्रद्धांजलि अर्पित की।
दोपहर में राष्ट्रपति ने बांग्लादेश के प्रमुख राजनीतिक नेतृत्व से मुलाकात की, जिनमें राष्ट्रपति मोहम्मद अब्दुल हमीद, प्रधानमंत्री शेख हसीना और विदेश मंत्री डॉ. एके अब्दुल मोमिन शामिल थे।
इन बैठकों में, राष्ट्रपति ने ‘मुजीब बोर्षो’ के ऐतिहासिक अवसर, बांग्लादेश की मुक्ति की 50वीं वर्षगांठ और भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय रिश्तों के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में बांग्लादेश की सरकार और वहां के निवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश का मुक्ति संग्राम हाल के इतिहास का एक प्रेरणास्पद अध्याय है तथा इसका हिस्सा बनने में भारत को गर्व है। उन्होंने कहा कि 50 वर्ष पहले, भारत और बांग्लादेश ने विशेष मैत्री का युग शुरू किया था, जो हमारी समान भाषा, सम्बंध, धर्म और सांस्कृतिक एकता तथा आपसी सम्मान पर आधारित है।
राष्ट्रपति ने फिर कहा कि भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति में बांग्लादेश का विशेष स्थान है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के साथ भारत की विकास साझेदारी अत्यंत समग्र और अत्यंत विस्तृत आयाम रखती है। इसके साथ ही, हमारे आपसी रिश्ते इतने परिपक्व हैं कि हम जटिल से जटिल समस्याओं का निदान कर सकते हैं।
व्यापार और संपर्कता के बारे में बोलते हुये राष्ट्रपति ने कहा कि संपर्कता, भारत-बांग्लादेश सम्बंधों का महत्त्वपूर्ण स्तंभ है। दोनों देशों को अपनी भौगोलिक निकटता से बहुत कुछ हासिल करना है। उन्होंने इस बात पर हर्ष व्यक्त किया कि बांग्लादेश, भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझीदारों में शरीक है। उन्होंने कहा कि भारत चाहता है कि दोनों देशों के बीच ज्यादा सांगठनिक और निर्बाध व्यापार हो। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष, परमाणु प्रौद्योगिकी, रक्षा, औषधि तथा उन्नत विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बहुत संभावनायें हैं। उन्होंने कहा कि औपचारिक ‘समग्र आर्थिक साझेदारी समझौते’ से द्विपक्षीय व्यापार को बहुत गति मिलेगी।
कोविड महामारी के दौरान भारत और बांग्लादेश के बीच सहयोग का जिक्र करते हुये राष्ट्रपति ने महामारी के दौरान बांग्लादेश से मिलने वाले समर्थन की सराहना की। उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि भारत से सबसे पहले वैक्सीन प्राप्त करने वाले देशों में बांग्लादेश भी था तथा वह भारत निर्मित वैक्सीनों का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है।
बहुस्तरीय मंचों पर सहयोग के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और बांग्लादेश के पास तमाम मुद्दों पर व्यापक एजेंडे हैं और उनकी चिंतायें भी साझा हैं, खासतौर से दक्षिण-एशिया के बारे में, जिसके मद्देनजर करीबी सहयोग की जरूरत है।
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