कोरोना वैक्सीन: साइड इफेक्ट्स और क्लिनिकल स्टडी जैसे सवाल पर रूस का जवाब, जानें WHO ने क्या कहा?

नई दिल्ली. कोरोना वैक्सीन पर उठ सवालों को रूस ने आधारहीन बताया है। रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको ने एक समाचार एजेंसी को बताया, रूस की वैक्सीन पर उठ रहे सवाल सही नहीं हैं। लोग अपने विचार रख रहे हैं लेकिन वे सभी पूरी तरह से निराधार हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को जल्द ही वैक्सीन उपलब्ध कराई जाएगी। 
 

Asianet News Hindi | Published : Aug 13, 2020 5:45 AM IST

नई दिल्ली. कोरोना वैक्सीन पर उठ सवालों को रूस ने आधारहीन बताया है। रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको ने एक समाचार एजेंसी को बताया, रूस की वैक्सीन पर उठ रहे सवाल सही नहीं हैं। लोग अपने विचार रख रहे हैं लेकिन वे सभी पूरी तरह से निराधार हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को जल्द ही वैक्सीन उपलब्ध कराई जाएगी। 

दो हफ्तों के अंदर पहला पैकेज मिल जाएगा
मुराशको ने कहा, अगले दो हफ्तों के अंदर मेडिकल वैक्सीन का पहला पैकेज मिल जाएगा। रूस के अधिकारियों की योजना है कि अक्टूबर में बड़े पैमाने पर वैक्सीन देने का अभियान चलाया जाए। 

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WHO करेगा वैक्सीन की समीक्षा
डब्ल्यूएचओ ने भी वैक्सीन की समीक्षा करने को कहा है। रूस की यह वैक्सीन डब्ल्यूएचओ की उन छह वैक्सीन की सूची में शामिल नहीं है जो अपने तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल में पहुंच चुकी है। 

क्या भारत को मिलेगी रूस की वैक्सीन?
डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा, अगर रूस की वैक्सीन सफल होती है। तो हम बारीकी से ये देखना होगा कि क्या ये सुरक्षित और प्रभावी है। साथ ही यह भी जांचना होगा कि इसके कोई साइड इफेक्ट्स ना हों। इससे मरीज में अच्छी प्रतिरोधक क्षमता और सुरक्षा मिले।
- उन्होंने कहा, भारत में इसका इस्तेमाल करने से पहले सुरक्षा के लिहाज से इसके असर को आंका जाएगा। उन्होंने कहा, अगर ये वैक्सीन सही साबित होती है तो भारत के पास बड़ी मात्रा में इसके निर्माण की क्षमता है।

रूस की कोरोना वैक्सीन में क्या कमी
1- ये सिर्फ 38 लोगों पर जांच के बाद वैक्सीन को मंजूरी मिल गई। न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, यही वजह है कि अमेरिका इस वैक्सीन को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं है।
2- वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स भी हैं। एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वैक्सीन लेने के बाद तेज दर्द और स्वेलिंग की भी समस्या होती है। वहीं कुछ लोगों में कमजोरी, भूख नहीं लगना, नाक बंद होने जैसे मामले भी सामने आए हैं। 
3- रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिर्फ 42 दिन के रिसर्च के बाद वैक्सीन को मंजूरी दी गई। इस वजह से यह पता नहीं चल सका कि वैक्सीन कितनी अधिक प्रभावी है। 
4- वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के लिए जो कागजात दिए गए थे, उसमें लिखा था कि महामारी पर वैक्सीन के प्रभाव को लेकर कोई भी क्लिनिकल स्टडी नहीं हुई है।

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