फ्लॉप हुई चीन की ‘एक देश,दो प्रणाली’ की नीति, फिर राष्ट्रपति बनी साई;कहा, संप्रभुता से समझौता नहीं

डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की प्रत्याशी साई इंग-विन ने ताइवान के राष्ट्रपति चुनाव में दूसरे कार्यकाल के लिए जीत हासिल की है। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी हॉन कू-यू को 80 लाख से ज्यादा वोटों से हराया। साई के इस जीत से चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी को बड़ा झटका लगा है। 

ताइपे. ताइवान में शनिवार को हुए चुनाव में राष्ट्रपति साई इंग वेन को विजयी घोषित किया गया जहां मतदाताओं ने स्वशासित द्वीप को अलग-थलग करने के चीन के अभियान को सिरे से खारिज कर दिया और अपनी प्रथम महिला नेता को दूसरी बार विजेता बनाया है। साई ने अपनी जीत की घोषणा करते हुए संवाददाताओं से कहा, “ताइवान दुनिया को दिखा रहा है कि हम जीवन के अपने लोकतांत्रिक तरीके का कितना आनंद उठाते हैं और हम अपने देश को कितना पसंद करते हैं।” 

80 लाख से अधिक वोटों से हराया 

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डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की प्रत्याशी साई इंग-विन ने ताइवान के राष्ट्रपति चुनाव में दूसरे कार्यकाल के लिए जीत हासिल की है। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी हॉन कू-यू को 80 लाख से ज्यादा वोटों से हराया। चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी की प्रत्याशी को केवल 38% वोट मिले, जबकि साई 57% वोट हासिल करने में कामयाब रहीं। जीत के बाद साई ने कहा- इस चुनाव का परिणाम अहम है। हम चीन की विस्तारवादी नीतियों से लड़ने के लिए खड़े हैं। ताइवान के लोगों ने दिखाया है कि जब उनकी संप्रभुता को खतरा होगा, तो वे ज्यादा जोर से आवाज उठाएंगे।’’

चीन ताइवान को डराना बंद करे

साई ने कहा कि इस जीत के बाद चीन ताइवान को डराना बंद करना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि बीजिंग के लोग लोकतांत्रिक ताइवान को समझेंगे। लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार होने के नाते हम चीन की धमकियों से नहीं डरेंगे। उन्होंने कहा कि ताइवान चीन की विस्तारवादी नीतियों से परेशान दुनिया के अन्य मुल्कों का प्रतिनिधि है। हम अपने लोकतांत्रिक संस्थानों को बचाने के साथ चीन के साथ आर्थिक संबंधों को बनाए रखने की कोशिश भी कर रहे हैं। हम द्विपक्षी बातचीत के जरिए शांतिपूर्ण माहौल कायम करने के पक्ष में हैं। 

साई ने दिया था आज हॉन्गकॉन्ग, कल ताइवान का नारा 

ताइवान का राष्ट्रपति चुनाव कम्युनिस्ट बनाम डेमोक्रेटिक रहा। कम्युनिस्ट पार्टी ने ‘एक देश, दो प्रणाली’ की अपनी पुरानी नीति के साथ चुनाव लड़ा। साई ने अपने प्रचार में इसका खुलकर विरोध किया। उन्होंने हॉन्गकॉन्ग में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के खिलाफ चीन की कार्रवाई को मुद्दा बनाया। साई ने चुनाव प्रचार के दौरान ‘आज हॉन्गकॉन्ग, कल ताइवान’ का नारा दिया। उन्होंने मतदाताओं से ताइवान की प्रशासनिक स्वतंत्रता से किसी प्रकार का समझौता न करने की अपील की।

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