श्रीलंका के राष्ट्रपति ने दूसरी बार की आपातकाल की घोषणा, सुरक्षा बलों को दिए व्यापक अधिकार

आर्थिक संकट (Economic Crisis) के चलते तेज हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बाद श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने दूसरी बार आपातकाल की घोषणा की है। इसके साथ ही सुरक्षा बलों को व्यापक अधिकार मिल गए हैं।

Asianet News Hindi | Published : May 6, 2022 7:05 PM IST

कोलंबो। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने शुक्रवार को पांच सप्ताह में दूसरी बार आपातकाल की स्थिति घोषित की। सुरक्षा बलों को व्यापक अधिकार दिए गए हैं। राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर देशव्यापी हड़ताल ने देश को ठहराव में ला दिया है।

राष्ट्रपति के एक प्रवक्ता ने कहा कि दुकानें बंद होने के बाद सार्वजनिक व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए राजपक्षे ने सख्त कानूनों का आह्वान किया है। बता दें कि यूनियनों ने आर्थिक संकट के लिए राजपक्षे को दोषी ठहराते हुए सार्वजनिक परिवहन को शुक्रवार को रोक दिया। आर्थिक संकट के चलते श्रीलंका में कई सप्ताह से अशांति है।

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आपातकाल से सुरक्षा बलों को मिला व्यापक अधिकार 
इससे पहले शुक्रवार को पुलिस ने राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर राष्ट्रीय संसद में धावा बोलने की कोशिश कर रहे छात्रों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और पानी की बौछार का इस्तेमाल किया। आपातकाल सुरक्षा बलों को न्यायिक पर्यवेक्षण के बिना लंबी अवधि के लिए संदिग्धों को गिरफ्तार करने और हिरासत में रखने के लिए व्यापक अधिकार देता है।

यह पुलिस के अलावा कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सैनिकों की तैनाती की भी अनुमति देता है। प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रपति ने आवश्यक सेवाओं और सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव को सुनिश्चित करने के लिए आपातकालीन नियमों को लागू करने के लिए अपनी कार्यकारी शक्तियों का उपयोग किया। कानून शुक्रवार मध्यरात्रि से लागू हो गया।

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1 अप्रैल को हुई थी आपातकाल की घोषणा
बता दें कि राजधानी में हजारों प्रदर्शनकारियों द्वारा उनके निजी घर में धावा बोलने के प्रयास के एक दिन बाद राजपक्षे ने 1 अप्रैल को आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी थी। उस आपातकाल को 14 अप्रैल को समाप्त होने दिया गया था। इसके बाद से विरोध तेज हो गया है। नई आपातकालीन घोषणा तब हुई जब हजारों प्रदर्शनकारी राजपक्षे के कार्यालय के बाहर बने रहे। वे वहां 9 अप्रैल से विरोध कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों के छोटे समूहों ने अन्य प्रमुख सरकारी राजनेताओं के घरों पर धावा बोलने की कोशिश की।

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