IMF से बेलआउट पैकेज के लिए Sri Lanka एक कदम और बढ़ा: 31 अगस्त को मिल सकता है अप्रूवल

Sri Lanka Crisis: पहले राउंड की वार्ता बुधवार को हुई थी। अब अगले राउंड की मीटिंग 31 अगस्त को होगी। आईएमएफ ने इलेक्ट्रिक टैरिफ संशोधन, एक्साइज एक्ट के बारे में भी अतिरिक्त जानकारी मांगी। टीम ने सोमवार तक सारी जानकारियों को साझा करने का भी अनुरोध किया। 

कोलंबो। श्रीलंका (Sri Lanka) को आर्थिक संकट से उबारने के लिए नई सरकार लगातार प्रयासरत है। शुक्रवार को राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) ने आईएमएफ (IMF) की टीम के साथ नकदी संकट से जूझ रहे देश के लिए बेलआउट पैकेज के लिए दूसरे दौर की महत्वपूर्ण बातचीत की है। राष्ट्रपति कार्यालय ने बताया कि बेलआउट पैकेज के लिए दोनों पक्षों ने ऑनलाइन मीटिंग की है और जल्द की इसके लिए परिणाम भी सामने आएगा। श्रीलंका, आईएमएफ से पांच बिलियन डॉलर के आर्थिक सहयोग वाले कार्यक्रम के लिए बातचीत कर रहा है।

आईएमएफ के वित्तीय व कानूनी सलाहकार रहे मौजूद

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पहले राउंड की वार्ता बुधवार को हुई थी। अब अगले राउंड की मीटिंग 31 अगस्त को होगी। आईएमएफ ने इलेक्ट्रिक टैरिफ संशोधन, एक्साइज एक्ट के बारे में भी अतिरिक्त जानकारी मांगी। टीम ने सोमवार तक सारी जानकारियों को साझा करने का भी अनुरोध किया। 

आईएमएफ के वित्तीय और कानूनी एडवाइजर्स ने इस मीटिंग में भाग लिया। टीम में आईएमएफ पैनल में प्रमुख पीटर ब्रेउर, उप प्रमुख मासाहिरो नोजाकी, श्रीलंका में आईएमएफ के स्थायी प्रतिनिधि तुबागस फेरिदनुसेत्यवान, राष्ट्रपति के चीफ ऑफ स्टाफ और राष्ट्रीय सुरक्षा पर राष्ट्रपति के वरिष्ठ सलाहकार सगला रत्नायके, राष्ट्रपति के सचिव समन एकनायके, सेंट्रल बैंक के गवर्नर डॉ. नंदलाल वीरसिंघे और सेंट्रल बैंक के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

श्रीलंका पर 51 बिलियन डॉलर का विदेशी लोन

श्रीलंका आर्थिक रूप से बर्बाद हो चुका है। देश पिछले कई महीनों से संकट से जूझ रहा है। बीते अप्रैल में विदेशी मुद्रा खत्म होने की वजह से अंतरराष्ट्रीय मार्केट में इसको डिफाल्टर घोषित कर दिया गया। श्रीलंका पर 51 बिलियन अमरीकी डालर का विदेशी ऋण बकाया है। इस देश को अपनी ऋण में 28 बिलियन अमरीकी डालर का 2027 तक भुगतान किया जाना है।

विश्व में टॉप-5 मुद्रास्फीति वाला देश 

विश्व बैंक ने श्रीलंका को दुनिया में टॉप-5 खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति वाले देशों में रखा है। यह लेबनान, के बाद श्रीलंका की रैंकिंग है। जिम्बाब्वे, वेनेजुएला और तुर्की इसके बाद रैंकिंग में हैं। विदेशी मुद्रा संकट की वजह से श्रीलंका में आवश्यक वस्तुओं की कमी हो गई है। इस साल बड़े पैमाने पर लोग सड़कों पर उतर आए। बीते महीने श्रीलंका सरकार को सामूहिक इस्तीफा देना पड़ा था। सत्ता पर राजपक्षे परिवार की पकड़ कमजोर हो गई। तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे सहित परिवार के करीब नौ लोगों को मंत्रिमंडल से तो इस्तीफा देना ही पड़ा था, पुराना मंत्रिमंडल भी इस्तीफा दे दिया।

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